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जानें क्या है रामायण के हनुमान और महाभारत के भीम का बीच रिश्ता

Mahabharat Katha: भगवान हनुमान ने महाभारत के भीम का घमंड चकनाचूर कर दिया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान हनुमान और पांडु पुत्र भीम के बीच एक खास रिश्ता था. अगर नहीं, तो हम बताते हैं कि भीम और भगवान हनुमान के बीच क्या रिश्ता था. 

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: pexels

Mahabharat Katha: रामायण काल के वीर योद्धा भगवान हनुमान बेहद ही बलशाली हैं. वे उन आठ चिरंजीवियों में से एक हैं, जो आप भी पृथ्वी पर मौजूद हैं और अपने और प्रभु श्रीराम के भक्तों की रक्षा के लिए दौड़े चले आते हैं. भगवान हनुमान बेहद बलशाली और वीर हैं. उन्होंने त्रेतायुग में भगवान श्रीराम और द्वापरयुग में प्रभु श्रीकृष्ण की सहायता की थी. मान्यता है कि उनके समान बलशाली योद्धा न तो इस दुनिया में कोई और हुआ है और न ही होगा. 

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था. वहीं, हनुमान का जन्म भी इसके बाद हुआ था. श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ था. इसके बाद ही पांडु पुत्र भीम का जन्म हुआ था. इस प्रकार भगवान हनुमान और भीम के जन्म के बीच करीब 2002 हजार वर्षों का अंतर था, पर दोनों के बीच एक खास रिश्ता भी था. 

यह था प्रभु हनुमान और भीम के बीच रिश्ता

शास्त्रों के अनुसार, भगवान हनुमान का जन्म पवनदेव की कृपा से हुआ था. इस कारण वे पवनदेव के पुत्र कहलाते हैं. वहीं, कुंती ने नियोग विधि के माध्यम से पवनदेव से पुत्र भीम की प्राप्ति की थी. इस कारण भगवान हनुमान और भीम दोनों ही पवन देव के पुत्र थे. इस प्रकार दोनों एक दूसरे के भाई थे. 

भीम का तोड़ा था घमंड

एक कथा के अनुसार जब पांडव वनवास भोग रहे थे तो पांडवों के साथ ही द्रौपदी भी उनके साथ आश्रम में रहने लगीं. एक बार वे कैलाश पर्वतों की जंगलों की ओर चले गए. यक्षों के राजा कुबेर का निवास भी कैलाश पर है. इसके साथ ही उनके नगर में एक सरोवर भी है, जिसमें कई सुगंधित फूल लगे हुए थे. जब द्रौपदी को उन फूलों की महक आई तो उन्होंने भीम से फूल लाने के लिए कहा. इस पर भीम द्रौपदी के फूल लाने के लिए निकल पड़े. 

रास्ते में उन्होंने देखा कि एक बार पड़ा है. उन्होंने किसी जीव का लांघकर आगे जाना उचित नहीं समझा. इस पर भीम ने कहा कि वानर रास्ते से अपनी पूंछ हटा लो, मुझे आगे जाना है, पर वानर ने अपनी पूंछ नहीं हटाई. इस पर भी उस वानर ने भीम की बात को नहीं सुना तो भीम को क्रोध आ गया और उन्होंने कहा कि क्या तुम जानते नहीं हो कि मैं महाबली भीम हूं. इस पर वानर ने कहा कि अगर आप इतने अधिक बलशाली हैं तो खुद ही पूंछ हटा दें. वानर के इतना कहने पर भीम का क्रोध बढ़ गया और वे पूंछ हटाने की कोशिश करने लगे. पूंछ हटाने की कोशिश के बाद भी जब वह पूंछ को हिला नहीं पाया तो वो उस वानर से प्रार्थना करने लगा. भीम की प्रार्थना सुनकर वानर अपने असली रूप में आ गया. वह वानर कोई और नहीं भगवान हनुमान थे. उन्होंने भीम का घमंड चकानाचूर कर दिया और भीम को समझाया कि तुमको अपने बल का कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए.

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.