Jagannath Temple: उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में स्थित रत्न भंडार पिछले 40 सालों से रहस्य बना हुआ है. इसमें दो भंडार भीतरी और बाह्य हैं. इसमें मौजूद आंतरिक कक्ष कई सालों से नहीं खुला है. जिसको लेकर पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए एक बड़ा खुलासा किया है.
ओडिशा के कंधमाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'जगन्नाथ मंदिर के रत्नभंडार के आंतरिक कक्ष की चाबियां पिछले 6 साल से खो गई हैं. यह काफी गंभीर है.उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ के यहां कितने रत्न और आभूषण है, यह किसी को पता नहीं है.
मंदिर का श्रीरत्न भंडार पिछले 40 सालों से खुला नहीं है. उन्होंने कहा कि इतना बड़ा अमूल्य खाजाने को ये लोग संभाल नहीं पाए. इससे मेरे ही नहीं पूरे दिल को चोट पहुंची है. सभी देशवासी को पता होना चाहिए कि चाबी कहां गई.इस पर राज्य सरकार ने कहा कि रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियां मिली हैं. पीएम मोदी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या इन डुप्लीकेट चाबियों से कोई रत्न भंडार को खोलता और बंद करता है. आखिर ये डुप्लीकेट चाबियां बनाई क्यों गई थीं. चाबी खोना गंभीर है और डुप्लीकेट चाबी बनना उससे भी ज्यादा गंभीर है.'
प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही आज जनसभा में भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का मुद्दा उठाया हो, लेकिन इसको लेकर पूरे देश में चर्चा कई बार हो चुकी है. मंदिर के रत्नभंडार के आंतरिक कक्ष में कितना खजाना है, यह बात अभी तक किसी को भी नहीं पता है.
#WATCH | While addressing a public meeting in Odisha's Kandhamal, PM Narendra Modi says, "...The key to 'Ratnbhandar' of Jagannath temple has been lost for the last 6 years... The key was lost, who found it? Does he keep opening and closing it? The state govt later said that the… pic.twitter.com/NZ5B8KHIXW
— ANI (@ANI) May 11, 2024
जानकारी के मुताबिक 12वीं शताब्दी में निर्मित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा के बहुमूल्य आभूषण रखे हुए हैं. रत्न भंडार में दो कक्ष आंतिरक और बाह्य मौजूद हैं. बाहरी कक्ष को प्रमुख अनुष्ठानों व त्योहारों के दौरान आभूषणों को लाने के लिए खोला जाता है पर आंतरिक कक्ष 40 वर्षों से बंद है.
मंदिर का संरक्षण कार्य भारतीय पुरातत्व विभाग ASI द्वारा किया जाता है. इस भंडार कक्ष की मरम्मत की मांग भी उठी, क्योंकि इसकी दीवारों में दरारें आ गई थीं. इससे उसके अंदर रखे आभूषणों को क्षति पहुंचने का अनुमान था. इसके साथ ही इस रत्न भंडार को खोलने की भी मांग कई बार उठी है.
साल 1978 में रत्न भंडार की जो सूची बनाई गई थी, उनमें 128 किलो सोने के गहने और 221 किलो चांदी की बात बताई गई है. वहीं, जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1955 के अनुसार रत्न भंडार की हर तीन साल में लिस्टिंग की जानी चाहिए थी, लेकिन आज तक इसे लागू नहीं किया गया है. 1926 में पहली बार और 1978 में दूसरी बार आभूषणों की जांच की गई थी. वहीं, साल 2018 में राज्य सरकार ने रत्न भंडार के निरीक्षण के लिए इसे फिर से खोलने का प्रयास किया था, लेकिन चाबी न होने के कारण ऐसा नहीं हो सका. मंदिर के पास ओडिशा में करीब 60,426 एकड़ जमीन है और 6 राज्यों पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार आदि में 395.2 एकड़ जमीन है. भक्तों से मिला दान में सोना राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा है.
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