इंडिया डेली के खास कार्यक्रम इंडिया मंच में गीता विशेषज्ञ महाराज ज्ञानानंद ने शिरकत की. उन्होंने कहा कि अगर मानसिक शांति चाहिए तो अपनी इच्छाओं पर संयम रखना होगा. जब आपका मन पर नियंत्रण होगा, तब आपका बाह्य आचरण नियंत्रित होगा. गीता और सनातन में संकीर्णता की जगह नहीं है. सनातन आपको व्यापक बनाता है, गीता आपको दिशा देती है. वैश्विक समाधनों को गीता से बेहतर किसी ग्रंथ से नहीं समझा जा सकता है.
तनाव पर बातचीत करते हुए महाराज ज्ञानानंद ने कहा, 'अध्यात्म, हमारी आंतरिक क्षमताओं को दृढ़ता देने वाला आधार है. अध्यात्म अंदर की चेतना से जुड़ा हुआ विषय है. तनाव, सुख लुप्त करता है. आपकी इच्छाएं अगर तृ्प्त नहीं होती हैं, तो आप मानसिक तौर पर अशांत रहेंगे. आपको आंतरिक चेतना पर ध्यान देना चाहिए. आप अपना कर्तव्य पूरा करें तो आपको शांति मिलेगा. योग का आश्रय आपको जागृत करेगा. तभी अंदर का सुख मिलेगा. बाहर की सुविधाएं और आनंद आपको नहीं सुधारंगें.'
महाराज ज्ञानानंद ने कहा कि गीता का संत्संग मन के सुधार के लिए है. छोटे-छोटे बच्चों के जीवन में गीता से परिवर्तन नजर आता है. यह आपके मन की शांति को सुदृढ़ करता है. गीता आपको बताती है कि कैसे हम अपने जीवन में बेस्ट दे सकते हैं. आप इसे समझकर हर स्थितियों से निपट सकते हैं. मेरे गुरु ने गीता दिया था, मैंने उसे समझा और अपने जीवन के उद्देश्य जाना.
महाराज ज्ञानानंद ने कहा कि इच्छाएं सबकी अलग-अलग होती है. सबकी जीवनशैली अलग होती है. यह आपके मानसिक तनाव को शांति में बदल सकती है. हर इंसान मानसिक शांति चाहता है. योग और गीता आपको समत्व की स्थिति देता है. लोगों में समत्व की भावना, गीता देती है. उन्होंने राजनीति पर भी बात की. उन्होंने कहा कि हम राजनीति में नहीं जाएंगे. अगर निर्विरोध भी कोई मुझे सीट सौंप दे तो भी मैं सीट नहीं लूंगा. देखिए उनका पूरा इंटरव्यू में.