Sawan 2024: सावन का महीना बेहद ही पवित्र और पावन होता है. यह पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. सावन के महीने में भगवान शिव का पूजन, भजन और सुमिरन काफी फायदेमंद होता है. भगवान शिव को बेलपत्र काफी अधिक प्रिय होता है. इस कारण लोग प्रभु को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र को अर्पित करते हैं. बेलपत्र के पेड़ में शिव का वास माना जाता है. इस कारण बेलपत्र को अर्पित करने के भी कुछ नियम होते हैं. बेलपत्र को अर्पित करने के लिए अगर आप नियमों का पालन नहीं करते हैं तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है.
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के प्रिय बेलपत्र को तोड़ने से लेकर अर्पित करने के लिए एक नियम का पालन करना पड़ता है. आइए जानते हैं कि बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित करते समय किन बातों को ध्यान रखना चाहिए और क्या गलतियां नहीं करनी चाहिए.
भगवान शिव को कभी भी बिल्वपत्र डंठल सहित नहीं अर्पित करना चाहिए. बेलपत्र की डंडी पूरी तरह से तोड़ देनी चाहिए. मान्यता है कि डंठल भगवान शिव पर वज्र के समान गिरता है. इस कारण बेलपत्र के पीछे की डंडी तोड़ देनी चाहिए.
बेलपत्र का चुनाव जब भी करें तो इस बात का खास ध्यान रखें कि वह कटा फटा न हो. इसके साथ ही उसके कोने कटे हुए न हों. जब भी बेलपत्र अर्पित करें तो अगर आपको मंत्र नहीं पता है तो ओम नमः शिवाय कहते हुए चढ़ा दें.
बेलपत्र को हमेशा उल्टा करके ही चढ़ाना चाहिए. उल्टा मतलब जिस तरफ से बेलपत्र चिकना हो, उस तरफ को शिवलिंग की ओर रखें. बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली के मदद से अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान को जल धारा अर्पित करते रहें.
बेलपत्र कभी भी बासी नहीं होता है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र एक ऐसा पत्ता है, जिसको दोबारा धुलकर अर्पित किया जा सकता है. ऐसा तब ही करें, जब वहां पर कहीं भी नया बेलपत्र उपलब्ध न हो. शिव पुराण के अनुसार, सावन में सोमवार के दिन बेलपत्र अर्पित करने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल प्राप्त होता है. शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से दरिद्रता दूर होती है. इसके साथ ही सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
एक बेलपत्र में 3 से लेकर 11 तक पत्ते होते हैं. ये पत्ते जितने भी अधिक होते हैं, उतने ही उत्तम माने जाते हैं. हालांकि तीन से कम पत्ते वाला बेलपत्र अर्पित न करें. बेलपत्र हमेशा 1, 5, 11, 21 और 108 की संख्या में ही चढ़ाना चाहिए. बेलपत्र को चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि को बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. इसके साथ ही संक्रांति पर भी बेलपत्र या बेल का फल नहीं तोड़ना चाहिए. शिवपूजन के एक दिन पहले ही आपको बेलपत्र तोड़कर रख लेना चाहिए.
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