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राधा-कृष्ण की भूमि पर खेली जाती है 'लठमार होली', जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा

लठमार होली कब है? होली रंगों का एक अद्भुत उत्सव है, जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष तरीके से मनाया जाता है. बरसाना की लठमार होली विश्वभर में अपनी अनोखी परंपरा के लिए जानी जाती है. क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई थी?

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Lathmar Holi 2025 In Barsana: भारत के सबसे रंगीन त्योहारों में से एक, लठमार होली उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना और नंदगांव में खेली जाती है. यह अनोखी परंपरा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु ब्रज की धरती पर पहुंचते हैं. इस बार लठमार होली 8 मार्च 2025 को मनाई जाएगी.

लठमार होली कब खेली जाएगी?

आपको बता दें कि बरसाना की लठमार होली फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल यह तिथि 8 मार्च 2025 को पड़ रही है. ब्रज में होली का पर्व लगभग 40 दिनों तक चलता है, लेकिन लठमार होली का इसमें विशेष महत्व है.

कैसे खेली जाती है लठमार होली?

बरसाना की लठमार होली में नंदगांव के पुरुष (हुरयारे) और बरसाना की महिलाएं (हुरियारिन) भाग लेते हैं. इस दौरान:-

  • नंदगांव के पुरुष सिर पर साफा और कमर में फेंटा बांधकर, हाथ में ढाल लेकर आते हैं.
  • बरसाने की महिलाएं चेहरे को ढककर लाठियां लेकर उनका स्वागत करती हैं.
  • यदि कोई हुरयारा लाठियों से बच नहीं पाता, तो उसे महिलाओं के कपड़े पहनकर नाचना पड़ता है.
  • इस दौरान पूरे क्षेत्र में राधा-कृष्ण के भजन-कीर्तन गूंजते हैं और रंग-गुलाल उड़ाए जाते हैं.
  • भांग और ठंडाई का विशेष आनंद लिया जाता है.

कैसे शुरू हुई लठमार होली की परंपरा?

वहीं इस परंपरा की जड़ें पौराणिक कथाओं से जुड़ी हैं. मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी सखाओं के साथ राधा से मिलने बरसाना पहुंचे, तो उन्होंने राधा और उनकी सखियों को चिढ़ाना शुरू कर दिया. इस पर राधा रानी और उनकी सखियों ने उन्हें लाठियों से मारकर भगाने की कोशिश की. तभी से इस अनोखी परंपरा की शुरुआत हुई, जो पिछले 5000 वर्षों से चली आ रही है.

लठमार होली का महत्व

  • राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक: यह होली श्रीकृष्ण और राधा के अलौकिक प्रेम को दर्शाती है.
  • ब्रज संस्कृति की झलक: यह अनोखी परंपरा ब्रज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है.
  • दुनियाभर के पर्यटकों का आकर्षण: हर साल देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु इसे देखने आते हैं.

हालांकि, बरसाना की लठमार होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, संस्कृति और परंपरा का संगम है. हर साल इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए लाखों लोग ब्रज पहुंचते हैं. अगर आप भी इस रंगीन और अद्भुत उत्सव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो 8 मार्च 2025 को बरसाना जरूर जाएं.

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.  हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं.)