अयोध्या से कम नहीं है भगवान राम के इन मंदिरों की दिव्यता, जानिए कौन से हैं ये प्राचीन देव स्थान 

Ram Temples in India: भगवान राम लोगों के दिल में बसते हैं। राम श्रद्धा हैं. इसलिए राम भक्तों को अयोध्या का मंदिर बनने का सदियों से इंतजार था. हालांकि, देश में पहले से ही कई राम मंदिर मौजूद हैं जो प्राचीन हैं और जहां जाने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होने के दावे किए जाते हैं.

Ram Temples in India: 500 साल के इंतजार के बाद, रामलला अयोध्या में अपने नए भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं. यह मंदिर भारत और दुनिया भर में चर्चा का विषय है. भगवान राम हमारे अंदर रहते हैं, लेकिन इस नए मंदिर को देखकर हर सनातनी खुश है.

भगवान राम लोगों के रोम-रोम में हैं. राम श्रद्धा हैं. इसलिए राम भक्तों को अयोध्या का मंदिर बनने का सदियों से इंतजार था. हालांकि ये भी सत्य है कि देश में पहले से भी ऐसे राममंदिर मौजूद हैं जो ना केवल प्राचीन हैं, बल्कि वहां जाने से लोगों की मुंहमांगी मन्नत पूरे होने के दावें भी सामने आए हैं.

इन मंदिरों में भगवान राम की मूर्तियां हैं और लोग इन मंदिरों में पूजा करते हैं. आइए देखते हैं ऐसे राम मंदिर कौन-कौन से हैं-

भारत में अयोध्या के अलावा भी कई अन्य राम मंदिर हैं. 

त्रिप्रायर श्रीराम मंदिर

केरल में त्रिप्रायर श्रीराम मंदिर बहुत प्राचीन है. इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति है. लोगों का मानना है कि भगवान कृष्ण ने भी इस मंदिर में पूजा की थी.

रामास्वामी मंदिर

तमिलनाडु में रामास्वामी मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर में रामायण की कहानियों को दीवारों पर चित्रित किया गया है. इस मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और शत्रुघ्न की मूर्तियां हैं.

रामचंद्रस्वामी मंदिर

तेलंगाना के भद्राचलम में रामचंद्रस्वामी मंदिर है. यह मंदिर गोदावरी नदी के किनारे स्थित है. लोगों का मानना है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान कुछ समय इस मंदिर में बिताया था. इस मंदिर में देवी सीता के चरणों के निशान भी हैं.

महाराष्ट्र में कालाराम मंदिर

नासिक में कालाराम मंदिर भगवान राम का एक प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में भगवान राम की काले रंग की मूर्ति विराजित है. कहा जाता है कि यह मूर्ति गोदावरी नदी में मिली थी.

ओरछा का राजा राम मंदिर

ओरछा, मध्य प्रदेश में भगवान राम के राजा का मंदिर है. यहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है, जो बहुत ही प्रसिद्ध है.

पुरानी कहानियों के अनुसार, ओरछा के राजा मधुकरशाह कृष्ण भक्त थे और उनकी महारानी गणेश कुंवरी भगवान राम की भक्त थीं. एक दिन राजा से मिली चुनौती के बाद रानी ने भगवान राम को अयोध्या से ओरछा लाने के लिए अयोध्या में 21 दिनों तक तपस्या की, जिसके दौरान भगवान राम ने उन्हें दर्शन दिए और तीन शर्तें रखीं. रानी ने शर्तें मानीं और पुष्य नक्षत्र में ओरछा में भगवान राम को लेकर आईं.

भगवान राम को महल के भोजन कक्ष में स्थापित किया गया, लेकिन शर्त के अनुसार फिर वे अपने स्थान से नहीं हिले. इसी कारण आज भी ओरछा में उनका मंदिर महल में है और यहां पर उनकी पूजा बाल रूप में श्रीरामलला के नाम से होती है.