Shri Bajreshwari Mata Temple: भारत में कई प्राचीन मंदिर हैं, जो न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं बल्कि अपनी रहस्यमयी घटनाओं के कारण भी चर्चा में रहते हैं. ऐसा ही एक मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है बज्रेश्वरी देवी मंदिर.
यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और यहां माता सती का दाहिना वक्षस्थल गिरा था, जिससे यह स्तनपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ. लेकिन इस मंदिर की सबसे अद्भुत और रहस्यमयी बात यह है कि यहां भगवान काल भैरव की प्रतिमा रोती है.
बज्रेश्वरी देवी मंदिर में भगवान काल भैरव की एक अनोखी प्रतिमा स्थापित है. माना जाता है कि जब इस क्षेत्र में कोई बड़ा संकट या प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है, तो इस प्रतिमा की आंखों से आंसू बहने लगते हैं. यह घटना कई बार देखी गई है, जिससे स्थानीय लोग इसे किसी अनहोनी का संकेत मानते हैं.
माना जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल में पांडवों द्वारा बनाया गया था. इसकी आयु 5,000 वर्षों से अधिक मानी जाती है. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि जब भी भगवान काल भैरव की प्रतिमा से आंसू बहते हैं, तो विशेष पूजा और हवन किए जाते हैं ताकि संभावित संकट को टाला जा सके.
वैज्ञानिक इस घटना को भिन्न दृष्टिकोण से देखते हैं. उनका मानना है कि भगवान काल भैरव की प्रतिमा में विशेष प्रकार के रासायनिक तत्व मौजूद हैं. जब यह तत्व वातावरण की नमी के संपर्क में आते हैं, तो एक रासायनिक प्रक्रिया होती है, जिससे तरल पदार्थ निकलता है. यह तरल पदार्थ देखने में बिल्कुल आंसुओं की तरह लगता है, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था और विश्वास से जुड़ी घटना है.
बज्रेश्वरी देवी मंदिर अपनी भव्यता और अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है, जो भारतीय मंदिर स्थापत्य कला का एक बेहतरीन उदाहरण है. मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर intricate नक्काशी की गई है, जो इसकी सुंदरता को बढ़ाती है.
यह मंदिर केवल अपनी वास्तुकला के कारण ही नहीं, बल्कि धार्मिक मान्यताओं और रहस्यमयी घटनाओं के कारण भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. यहां हर वर्ष नवरात्रि और अन्य धार्मिक आयोजनों के दौरान लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं.