Mahashivratri 2024: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर में शिवरात्रि को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस कारण इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन व व्रत विशेष रूप से फलदाई होता है. इसको लेकर पूरे देश में विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं.
उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर शिवरात्रि का यह पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन के नौ दिन पहले से ही शिव नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है. इन नवरात्रि के नौ दिनों में भगवान महाकाल का भव्य श्रृंगार किया जाता है. इन नौ दिनों तक भोलेनाथ को दूल्हे की तरह सजाया जाता है.
मान्यता है कि जो भी भगवान महाकाल के दर्शन इन नौ दिनों तक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिवनवरात्रि की शुरुआत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से होती है. इस दिन भगवान कोटेश्वर का पूजन किया जाता है. इसके साथ ही उनका अभिषेक भी होता है.
शिवनवरात्रि की शुरुआत 29 फरवरी से हो गई है. पहले दिन महाकाल मंदिर समिति द्वारा 11 ब्राह्मणों को सोला और वरुणी भी दी जाती है. इसके बाद महाकाल भगवान का पूजन आरंभ किया जाता है. भगवान को भोग लगने के बाद शाम को संध्या पूजन किया जाता है. इसके बाद श्रृंगार किया जाता है. इस दौरान महाकाल को आभूषण और नए वस्त्र धारण कराए जाते हैं.
शिव नवरात्रि के दूसरने दिन शेषनाग श्रृंगार होता है. इसमें बाबा शिव को शेषनाग का मुकुट अर्पित किया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जिस नाग को भगवान शिव अपने गले में धारण किए हुए हैं. उन्होंने अपने सिर पर पूरी पृथ्वी का भार ले रखा है. वहीं, सातवें दिन के श्रृंगार में बाबा शिव माता पार्वती के साथ दिखते हैं. इसे उमा महेश श्रृंगार कहते हैं. अंतिम दिन महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव दूल्हे के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. इस स्वरूप को सेहरा दर्शन के नाम से जाना जाता है.
29 फरवरी- चंदन और भांग का श्रृंगार
1 मार्च- शेषनाग श्रृंगार
2 मार्च - घटाटोप श्रृंगार
3 मार्च - छबीना श्रृंगार
4 मार्च- होलकर श्रृंगार
5 मार्च - मनमहेश श्रृंगार
6 मार्च- उमा महेश श्रृंगार
7 मार्च - शिव तांडव श्रृंगार
8 मार्च- सप्तधान का मुखौटा
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