Shardiya Navratri 2024: आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. इस पावन अवसर पर पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप, मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है. 'शैल' का अर्थ हिमालय है और माता पार्वती, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, को शैलपुत्री कहा जाता है. मां पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं और उनका वाहन वृषभ (बैल) है, इसलिए उन्हें वृषभारूढ़ भी कहा जाता है.
मां शैलपुत्री का स्वरूप शांत, सरल और दयालु है. उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है. वह नंदी नामक बैल पर सवार हैं, जिसे भगवान शिव की एक गण माना जाता है. मां शैलपुत्री जो घोर तपस्या करती हैं वह समस्त जीवों की रक्षक भी हैं. उनकी पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वे कष्टों से मुक्त होते हैं.
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का विशेष महत्व है. तांबे या मिट्टी के कलश में देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है, जिसे नौ दिनों तक पूजा स्थल पर रखा जाता है. घटस्थापना के लिए गंगाजल, नारियल, लाल कपड़ा, मौली, चंदन, पान, सुपारी, घी का दीपक, ताजे फल और फूलों की माला की आवश्यकता होती है.
इस बार शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर से हो रहा है. घटस्थापना के लिए आज सुबह 4:09 से 5:07 तक विशेष शुभ रहेगा. घरों और पंडालों में पूजा का समय सुबह 9:40 से 11:50 तक रहेगा. मां शैलपुत्री की पूजा विधि के अनुसार, भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनते हैं. फिर एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध किया जाता है और मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है. इसके बाद मां शैलपुत्री के ध्यान मंत्र का जाप करें और नवरात्रि के व्रत का संकल्प लें.
माता को कुमकुम अर्पित करें और सफेद, पीले या लाल फूल चढ़ाएं. धूप और दीप जलाएं और पांच देसी घी के दीपक भी जलाएं. इसके बाद माता की आरती करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. अंत में, माता को भोग लगाकर पूजा संपन्न करें.
नवरात्रि के पहले दिन सफेद रंग का विशेष महत्व है. माता को सफेद फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है और घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है.
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