Shani Sade Sati: कष्टदायक ही नहीं फलदायक भी होती है शनि की साढ़ेसाती,  इन लोगों पर होती है धन की वर्षा

Shani Sade Sati: शनि देव की खासियत ये है कि वो एक साथ कई राशि के जातकों पर प्रभाव डाल सकते हैं. इनकी चाल बहुत धीमी होती है.

Gyanendra Tiwari

Shani Sade Sati: शनि देव कुंडली का सबसे खतरनाक ग्रह माना जाता है. इनके प्रभाव, प्रकोप से बचना नामुमकिन होता है. शनि देव की साढ़ेसाती से लोग बहुत डरते हैं. डरना लाजमी है लेकिन शनि देव सिर्फ कष्ट ही नहीं देते हैं बल्कि सुख भी देते हैं. कुछ लोग जो शनि की साढ़ेसाती से गुजर रहे होते  हैं, उनके जीवन में शनि देव सुखों का अंबार लगा देते हैं. सच ये भी है कि सभी राशियों को साढ़ेसाती से गुजरना पड़ता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं की आपको सुख मिलेगा. आइए जानते हैं कि किसको शनि देव की साढ़ेसाती के दौरान सुख मिलता है.

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शनि देव की खासियत ये है कि वो एक साथ कई राशि के जातकों पर प्रभाव डाल सकते हैं. इनकी चाल बहुत धीमी होती है. इस लिए जीवन में खराब समय और अच्छा समय धीरे-धीरे आता है.

कितने सालों तक होती है शनि की साढ़ेसाती?

साढ़े सात से सीधा मतलब है सा साल. यानी जिसके ऊपर शनि देव की साढ़ेसाती चलती है वह 7 साल 6 महीने तक चलती है. जीवन में लोगों को शनि देव की साढ़ेसाती से तीन बार गुजरना पड़ता है. कुछ लोगों के जीवन में ये दो बार होता है. शनि देव को एक राशि से निकलकर दूसरे राशि में जाने में ढाई साल का समय लगता है. अगर आपके जीवन में एक बार साढ़ेसाती लग जाती है तो फिर दोबारा 30 साल बाद ही साढ़ेसाती लगेगी. अगर आप शनिदेव के साढ़ेसाती प्रभाव से बचना चाहते हैं तो आपको शनिदेव की पूजा करनी होगी उनका व्रत रखना होगा. उनके मंदिर जाकर तेल चढ़ाना होगा. कई सारे उपाय करने होंगे.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.
तीन चरणों में होती है शनि की साढ़ेसाती

शनि देव की साढ़ेसाती तीन हिस्सों में पूरी होती है. पहले दो हिस्से पूरा होने पर तीसरे हिस्से में जब आप पहुंचते हैं तो शनि देव ये निर्धारित करते हैं कि आपको और दुख मिलेगा या फिर आप पर सुखों की वर्षा होगी. साढ़ेसाती के पहले चरण को शुरुआत कहा जाता है, वहीं दूसरे चरण को चरम काल तो तीसरे काल को उतरती साढ़ेसाती कहा जाता है.

साढ़ेसाती का पहला चरण: साढ़ेसाती का पहला चरण तब होता है जब शनिदेव आपकी जन्म राशि से पहले वाली राशि में होते हैं. यहीं से साढ़ेसाती की शुरुआत होती है.

साढ़ेसाती का दूसरा चरण: जब शनिदेव आपकी राशि में प्रवेश कर जाते हैं तो साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो जाता है.

साढ़ेसाती का तीसरा चरण: जब  शनिदेव आपकी राशि से बाहर निकलते हैं तो वह साढ़ेसाती का आखिरी और तीसरा चरण होता है.
 

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साढ़ेसाती में क्या क्या होता है?

शुरुआती के शुरुआती ढाई साल: साढ़ेसाती के प्रथम चरण यानी शुरुआती ढाई साल में आपके खर्चों में बढ़ोतरी आती है. आपकी तरक्की में बाधा आ सकती  है. लोगों से आपका विवाद हो सकता है. अगर आप इस दौरान धैर्य रखते हैं तो साढ़ेसाती के प्रकोप से होने वाली परेशानियों से बच सकते हैं.

साढ़ेसाती के बीच के ढाई साल: साढ़ेसाती के दूसरे चरण में स्वास्थ्य की समस्याओं का सामना करना पड़ता  है. अगर आपने किसी के साथ गलत किया, किसी को धोखा दिया है तो आप पर साढ़ेसाती का प्रभाव हो सकता है. आपको दंड मिल सकता है. अगर आपने अपने जीवन में अच्छे काम किए हैं तो शनिदेव आपकी मदद करते हैं

साढ़ेसाती के आखिरी ढाई साल: साढ़ेसाती के आखिरी ढाई साल में आपके कामों की समीक्षा होती है. अगर आपने किसी के साथ गलत नहीं किया है तो शनिदेव आप पर धन की वर्षा कर सकते हैं. आपको आशीर्वाद दे सकते हैं. आपको नया बिजनेस शुरू करने में शनिदेव मदद कर सकते हैं. कुल मिलाकर अगर आपने ईमानदारी के साथ जीवन जिया है तो साढ़ेसाती का प्रकोप आपको नहीं झेलना पड़ेगा बल्कि शनिदेव आपको सुख देंगे.

इन पर नहीं होता शनि के साढ़ेसाती का असर

जिन लोगों की कुंडली के प्रमुख ग्रह शनिदेव होते हैं उन पर साढ़ेसाती का असर नहीं होता है. अगर वो ईमानदारी के साथ जीवन जी रहे हैं. किसी के साथ गलत नहीं कर रहे हैं तो साढ़ेसाती उनके लिए और फलदाई होती है. क्योंकि शनिदेव अपने राशि वाले लोगों को कष्ट नहीं देते हैं लेकिन अगर आपके ग्रह शनिदेव हैं और आप किसी के साथ अन्याय कर रहे हैं तो आपको शनिदेव दंड दे सकते हैं. इस कभी किसी के साथ गलत न करें. हमेशा सही मार्ग पर चलते रहें.


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