भूतड़ी अमावस्या क्या है? इस दिन भूल कर भी ना करें ये काम, जानें तारीख

भूतड़ी अमावस्या को लेकर चर्चा तेज है. यह इस महीने के 29 मार्च को पड़ रहा है. अमावस्या को सूर्योदय से पहले तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य देव को जल अर्पित करें. पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं.

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Bhutadi Amavasya 2025:  हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व है. चूंकि चांद दिखाई नहीं देता, इसलिए रात अंधेरी रहती है. ज्योतिष के अनुसार, इस रात नकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है.

चैत्र अमावस्या रजो और तमो गुणों की प्रधानता के कारण विशेष रूप से शक्तिशाली होती है और इसे भूतदि अमावस्या के नाम से जाना जाता है. नकारात्मक ऊर्जा को प्रबल होने से रोकने के लिए विशेष नियमों का पालन किया जाना चाहिए.

जानें 2025 में भूतड़ी अमावस्या कब है, क्या करें और क्या न करें.

भूतड़ी अमावस्या 2025 कब है?

चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या कहा जाता है. इस वर्ष भूतड़ी अमावस्या 29 मार्च 2025 को है. चैत्र अमावस्या तिथि 28 मार्च को शाम 7:55 बजे शुरू होगी और 29 मार्च को शाम 4:27 बजे समाप्त होगी.

क्या भूतड़ी अमावस्या का संबंध आत्माओं से है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमावस्या के दिन चंद्रमा के लुप्त हो जाने से नकारात्मक ऊर्जाएं अत्यधिक सक्रिय हो जाती हैं, जिससे मानसिक अस्थिरता पैदा होती है. ऐसा माना जाता है कि बेचैन आत्माएं लोगों को प्रभावित करके अपनी इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करती हैं.

भुतड़ी अमावस्या पर क्या करें?

  • चैत्र (भूतादि) अमावस्या को सूर्योदय से पहले तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य देव को जल अर्पित करें.
  • पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और कुछ मीठा भी भेंट करें.
  • तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए.
  • इस दिन पितरों की शांति के लिए व्रत रखना चाहिए और जरूरतमंदों को दान देना चाहिए.

भूतड़ी अमावस्या पर क्या न करें?

  • इस दिन बाल धोने, नाखून काटने, बाल या दाढ़ी बनवाने से बचना चाहिए.
  • अमावस्या के दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें और नशीले पदार्थों से दूर रहें.
  • भूतदि अमावस्या के दिन किसी भी अनजान वस्तु को न छुएं और न ही उस पर पैर रखें.
  • कमजोर इच्छाशक्ति वाले लोगों को सुनसान जगहों से बचना चाहिए.