हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत होती है. इस दौरान पूर्वजों को श्राद्ध और तर्पण किया जाता है ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले. ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं. श्राद्ध के 16 दिनों को शोक काल के रूप में देखा जाता है. इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से होगी और इसका समापन 02 अक्टूबर को होगा. ऐसे में पितृपक्ष को लेकर बहुत सारी बातें लोगों को ध्यान में रखने की सलाह हमेशा पुरोहितों और परिवारों के द्वारा दी जाती है.
पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई सारे धार्मिक कार्य और अनुष्ठान किए जाते रहे हैं. साथ ही इस समय को शोक काल के रूप में भी देखा जाता है. इसलिए बाल कटवाना और शेविंग करना, कोई भी शुभ काम करना सब वर्जित रहता है. इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि इसमें ऐसा कुछ भी करना पितरों का अपमान माना जाता है और इन दिनों में पितरों को सम्मान देने के साथ ही तर्पण किया जाता है ताकि उनकी कृपा हमेशा परिवार वालों पर बनी रही.
हिंदू धर्म में माना जाता है कि पितृ दोष होने पर व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं होती है. इनमें से एक समस्या शुभ कार्यों में अड़चन आना भी हो सकता है. पितृ पक्ष से पहले शुभ कार्य में अड़चन आना यह संकेत दे सकता है कि पितर प्रसन्न नहीं हैं और पितृ दोष हावी है या घर में कोई नकारात्मक ऊर्जा है. इसलिए इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
वहीं यदि पितृ पक्ष के दौरान आंगन की तुलसी सूख रही है तो यह अधिक एक तरह से चिंता का विषय है. माना जाता है कि इससे पितृ प्रसन्न नहीं है और यह किसी संकट की आहट है.
पितृ पक्ष में कौओं का घर पर बार-बार मंडराना या झुंड में आना पूर्वजों और पितरों के धरती पर आने का संकेत माना गया है. यदि ये चुपचाप आते हैं और दिए हुए भोजन को खाकर चले जाते हैं, तो यह अच्छा माना गया है. वहीं वे कौए आपस में झगड़ा करते हैं और बिना कुछ खाए उड़ जाते हैं, तो इसे पितरों के नाखुश होने का संकेत माना गया है.
इसके अलावा यदि आपके घर में लाल चींटियां नजर आती है तो यह एक तरह से अशुभ संकेत माना जाता है. कहा जाता है इससे पितृ खुश नहीं होते इसलिए चीटियां घर में लगती है.