Parshuram Jayanti 2025: हिंदू धर्म में भगवान परशुराम को भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है. हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम जयंती मनाई जाती है. यह दिन न सिर्फ अक्षय तृतीया जैसा शुभ पर्व होता है, बल्कि यह धर्म, न्याय और शौर्य के प्रतीक भगवान परशुराम के जन्म की याद भी दिलाता है. इस साल परशुराम जयंती 29 अप्रैल 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी.
तृतीया तिथि आरंभ: 29 अप्रैल 2025 को शाम 5:32 बजे
भगवान परशुराम का जन्म महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के घर हुआ था. उनका स्वभाव तेज, क्रोधी और न्यायप्रिय था. वे एक ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय गुणों से भरपूर थे. उन्होंने भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महान योद्धाओं को युद्ध की शिक्षा दी.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दिन माता रेणुका ने नदी में स्नान करते समय एक राजा को जलक्रीड़ा करते हुए देख लिया और उनका मन विचलित हो गया. यह देखकर महर्षि जमदग्नि क्रोधित हो उठे और अपने पुत्रों को आदेश दिया कि वे माता का वध करें. जहां सभी पुत्रों ने मना कर दिया, परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन किया और माता का सिर काट दिया. इस पर महर्षि प्रसन्न हो गए और परशुराम को वरदान मांगने को कहा. परशुराम ने माता को पुनर्जीवित करने, भाइयों को जीवनदान देने और अपने किए पाप से मुक्ति की प्रार्थना की जिसे महर्षि ने स्वीकार कर लिया.
परशुराम का मूल नाम केवल ‘राम’ था. लेकिन जब भगवान शिव ने उन्हें युद्धकला सिखाई और एक फरसा (परशु) भेंट किया, तब उनका नाम पड़ा ‘परशुराम’, यानी फरसा-धारी राम.
परशुराम का जन्म धर्म की रक्षा और अत्याचारियों के विनाश के लिए हुआ. शास्त्रों के अनुसार, उन्होंने 21 बार पृथ्वी को अन्यायी क्षत्रियों से मुक्त किया. वे ब्राह्मण कुल में जन्मे, लेकिन क्षत्रिय योद्धा की तरह जीवन जिया.
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