Mystery of Life after Death: विष्णु पुराण, हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक, मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में गहन जानकारी प्रदान करता है. यह इसे पढ़ने वालों को स्वर्ग, नरक और मोक्ष की अवधारणाओं से परिचित कराता है, जो मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग हैं.
विष्णु पुराण स्वर्ग को एक दिव्य स्थान के रूप में चित्रित करता है, जहां देवता और पुण्यात्माएं निवास करते हैं. यहाँ अमृत के झरने, मनमोहक उद्यान, स्वादिष्ट भोजन और अप्सराओं का मनमोहक नृत्य होता है. हालांकि, विष्णु पुराण यह भी स्पष्ट करता है कि स्वर्ग का सुख क्षणभंगुर है.
यहां रहने वाले प्राणी भी नश्वरता के भय से ग्रस्त हैं. जैसे-जैसे उनके पुण्य क्षीण होते जाते हैं, उन्हें धीरे-धीरे अपनी दिव्यता खोनी पड़ती है और वे पुनः मृत्यु का सामना करते हुए पृथ्वी पर लौट आते हैं.
विष्णु पुराण में नरक को पापियों के लिए दंड का स्थान बताया गया है. यहाँ विभिन्न प्रकार की यातनाएं और कष्ट दिए जाते हैं, जो पापों की गंभीरता के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं. पाठ में नरक के अनेक प्रकारों का वर्णन है, जैसे रौद्र, तामस, सात्विक आदि. प्रत्येक प्रकार के नरक में पापियों को उनके कर्मों के अनुसार दंड दिया जाता है.
विष्णु पुराण का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है. मोक्ष को जन्म-मृत्यु-चक्र से मुक्ति माना जाता है. जब कोई व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर लेता है, तो वह चिरस्थायी शांति और आनंद का अनुभव करता है. उसे फिर से जन्म नहीं लेना पड़ता और वह सांसारिक दुखों से मुक्त हो जाता है.
उदाहरण: विष्णु पुराण में राजा हरिश्चंद्र की कहानी का उल्लेख है, जिन्होंने सत्य की रक्षा के लिए अपने पुत्र रोहिताश्व और पत्नी शैलावती को भी बलिदान करने का वचन दिया था. हालांकि, जब यमराज उन्हें लेने आए, तो राजा हरिश्चंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की. उनकी सत्यनिष्ठा और त्याग से प्रसन्न होकर देवता उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं.
विष्णु पुराण हमें सिखाता है कि स्वर्ग और नरक केवल मृत्यु के बाद के स्थान नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन में भी मौजूद हैं. जब हम अच्छे कर्म करते हैं, तो हम स्वर्ग का अनुभव करते हैं, और जब हम बुरे कर्म करते हैं, तो हम नरक का अनुभव करते हैं. विष्णु पुराण हमें मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है, जो कि जीवन का अंतिम लक्ष्य है.