इंसान को लाइफ में कोई न कोई छोटी या फिर बड़ी बीमारी से जूझना ही पड़ता है. समस्या तब विकट हो जाती है, जब यह बीमारी मानसिक हो. मानसिक बीमारी में व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता है और परेशान रहता है. ऐसे में छोटी से छोटी परेशानी भी बड़ी लगने लगती है. मानसिक रोगों में तनाव, डिप्रेशन, एंग्जाइटी, बाइपोलर डिसऑर्डर, मनोविदलता, ओसीडी आदि कई और सारी बीमारियां आती हैं, जो व्यक्ति का जीवन नर्क के समान बना देती हैं.
ज्योतिष में इन बीमारियों की वजह कुछ ग्रहों के अशुभ प्रभाव को माना गया है. माना जाता है जब कुछ ग्रह अशुभ प्रभाव देते हैं तो व्यक्ति मानसिक रोगी हो जाता है. जैसे चंद्रमा मन का कारक होता है. चंद्रमा का अशुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन को खराब कर देता है. जब चंद्रमा किसी व्यक्ति की कुंडली के आठवें भाव में हो तो व्यक्ति को मानसिक सेहत संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर चंद्रमा अकेला हो तो भी तनाव बना रहता है.
अगर किसी की हथेली में चंद्र पर्वत पर धब्बे हों तो व्यक्ति का जीवन तनाव में गुजरता है.चंद्र पर्वत पर दाग होने पर छोटी बीमारी भी भयानक लगने लगती है. एक जन्मकुंडली में 12 भाव होते हैं और नौ ग्रह होते हैं. कुंडली का 6वां, 8वां और 12वां भाव अशुभ माने जाते हैं. इन भावों का संबंध अगर शुभ भावों से हो जाए तो संबंधित दोष उत्पन्न हो जाता है.
पापी और मायावी ग्रह राहु और केतु में जब राहु चतुर्थ भाव में और केतु 10वें भाव में हो तो मानसिक रोग की स्थिति बनती है. वहीं, शुक्र का अशुभ प्रभाव भी मानसिक शांति को भंग कर देता है.
ग्रहों के अशुभ प्रभाव से उत्पन्न किसी भी प्रकार के मानसिक रोग को दूर करने के लिए चिकित्सक की बताई दवाओं को खाने व थेरेपी लेने के साथ आप कुछ ज्योतिषी उपायों को भी अपना सकते हैं.
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