Kashi Vishwanath Mandir: काशी, जिसे वाराणसी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है, को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है. यह शहर न केवल अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसे दुनिया के सबसे प्राचीन नगरों में से एक माना जाता है. महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर जानते हैं, आखिर क्यों काशी को शिव की प्रिय नगरी कहा जाता है और इससे जुड़े रोचक पौराणिक रहस्य.
भगवान शिव और काशी का संबंध
बता दें कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार, काशी की स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी. कहा जाता है कि यह नगर भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है और यहां उनका दिव्य आशीर्वाद सदा बना रहता है. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि शिवजी ने इस स्थान को अपना स्थायी निवास बनाया था.
वहीं शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव पहले हिमालय पर तपस्या किया करते थे, लेकिन देवी पार्वती से विवाह के बाद उन्होंने पारिवारिक जीवन के लिए काशी को चुना. यही कारण है कि काशी को शिव की नगरी कहा जाता है. हालांकि, कुछ राजनैतिक कारणों से उन्हें यह नगर छोड़ना पड़ा और वे मंदार पर्वत चले गए, लेकिन मान्यता यह भी है कि काशी अब भी उनके त्रिशूल पर स्थित है और इस पर उनकी विशेष कृपा बनी हुई है.
काशी विश्वनाथ मंदिर - 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक
आपको बता दें कि काशी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है. यह मंदिर गंगा के पवित्र तट पर स्थित है और इसकी महिमा का वर्णन रामायण, महाभारत, ऋग्वेद और स्कंद पुराण में मिलता है. स्कंद पुराण में तो काशी की महत्ता को 15,000 से अधिक श्लोकों में गाया गया है.
काशी - आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र
इसके अलावा, काशी को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि यहां मृत्यु प्राप्त करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यहां हर गली-गली में शिवालय हैं और पूरे शहर में भगवान शिव की आराधना की जाती है.
हालांकि, काशी केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक धरोहर है. महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर इस पवित्र नगरी के महत्व को समझना आवश्यक है. यह भूमि शिव की भक्ति, आस्था और शक्ति का प्रतीक है, जो सदियों से हिंदू धर्म और संस्कृति का केंद्र बनी हुई है.