Mahakumbh 2025: बसंत पंचमी पर अभी लगा लें अमृत स्नान में डुबकी, सात पीढ़ियों तक की हो जाती है शुद्धि
महाकुंभ 2025 में बसंत पंचमी का अमृत स्नान लाखों श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा, स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति का अवसर है. संगम में एक डुबकी लगाने से व्यक्ति न केवल पवित्र होता है, बल्कि उसका पूरा अस्तित्व दिव्यता से भर उठता है.
Mahakumbh: बसंत पंचमी के पावन अवसर पर महाकुंभ का तीसरा और आखिरी अमृत स्नान संपन्न हो रहा है. इस शुभ अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े हैं. अमृत स्नान का शुभारंभ सुबह 4 बजे हुआ, और अब तक 1.65 करोड़ से अधिक भक्तों ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र जल में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया.
महानिर्वाणी अखाड़े के संतों ने सर्वप्रथम स्नान किया, जिसके बाद दूसरे अखाड़ों के संत और श्रद्धालु स्नान में शामिल हुए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी पर अमृत स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं. आइए जानते हैं बसंत पंचमी के अमृत स्नान से जुड़े पांच प्रमुख आध्यात्मिक लाभ.
1. मोक्ष की प्राप्ति
ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान बसंत पंचमी पर अमृत स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है. पवित्र जल में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं, और व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होता है. यह स्नान भक्तों को ईश्वर के निकट ले जाता है और उनके आत्मिक विकास में सहायक होता है.
2. सात पीढ़ियों की शुद्धि
हिंदू धर्मग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि संगम में स्नान करने से केवल स्नान करने वाले व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उसकी सात पीढ़ियों को भी पुण्य लाभ मिलता है. कहा जाता है कि पवित्र जल का आशीर्वाद पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचित होता है और उनके पूर्वजों की आत्मा को भी तृप्ति प्राप्त होती है. इसीलिए, भक्त अपने पूर्वजों की मुक्ति और आत्मिक शांति के लिए महाकुंभ में स्नान करना अत्यंत शुभ मानते हैं.
3. पूर्वजों की आत्मा को शांति
धार्मिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती अवतरित हुई थीं और उनका अदृश्य रूप प्रयागराज के संगम में सरस्वती नदी के रूप में प्रवाहित होता है. इस पवित्र संगम में स्नान करने से पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और उनके लिए किए गए श्राद्ध और तर्पण का पूर्ण फल प्राप्त होता है. यह स्नान न केवल पितरों को शांति देता है, बल्कि स्नान करने वाले व्यक्ति को भी आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है.
4. स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती में लाभ
गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से शरीर को दिव्य ऊर्जा मिलती है. कई धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, गंगा जल में औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर की बीमारियों को दूर करने और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि अमृत स्नान से:
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
- चर्म रोग, मानसिक तनाव और दूसरी बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
- व्यक्ति में आंतरिक ऊर्जा का संचार होता है.
5. आध्यात्मिक शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा
अमृत स्नान को आध्यात्मिक शुद्धि का सबसे प्रभावशाली साधन माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति का हृदय पवित्रता एवं भक्ति से भर जाता है.
संगम स्नान के प्रमुख आध्यात्मिक लाभ:
- सभी पापों का नाश होता है.
- व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है.
- मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है.
- जीवन में धर्म, भक्ति और सत्कर्मों की ओर झुकाव बढ़ता है.