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क्यों नीम करोली बाबा को कहा जाता है बजरंगबली का अवतार? जानें उनके जीवन से जुड़े रोचक किस्से

Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा का जन्म साल 1900 के करीब हुआ था. जब बाबा की उम्र 11 साल थी तब उनकी शादी कर दी गई थी. उन्होंने शादी के बाद गृह त्याग दिया दीक्षा लेकर साधना करने लगे. बाबा का पूरा जीवन काफी साधारण रहा है. बाबा के आश्रम केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी हैं. उनकी भक्तों की लिस्ट में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर विराट कोहली शामिल हैं.

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Edited By: India Daily Live
Neem Karoli Baba
Courtesy: Social Media

Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा प्रसिद्ध संत में एक हैं. केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध हैं.  आम लोग ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े सेलेब्स भी नीम करोली बाबा के भक्त हैं. भक्तों की लिस्ट में एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, क्रिकेटर विराट कोहली और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा जैसे नाम शामिल हैं. उनका आश्रम केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी हैं. बाबा का जीवन कई चमत्कार से जुड़ा हुआ है. बाबा को भक्त हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं. चलिए जानते हैं नीम करोली बाबा के जीवन के बारे में.

नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर हुआ था. बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. इन्हें लोग नीम करोली बाबा, लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा, तिकोनिया वाले बाबा और तलईया बाबा जैसे नामों से पहचानते थे. उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई गांव से की थी. जब वह 11 साल के थे तो उनकी शादी हो गई थी. शादी के बाद बाबा ने गृह त्याग दिया और  गुजरात में एक वैष्णव मठ में दीक्षा लेकर साधना करने लगे.

आश्रम की स्थापना

जब नीम करोली बाबा के पिता को गृह त्याग ने वाली बात पता चली तो उन्हें वापस ले गए. इसके बाद उनके दो पुत्र और एक बेटी हुई. लेकिन फिर से बाबा ने गृह त्याग दिया स्थानों पर भ्रमण करते हुए कैंची धाम चले गए. इसके बाद साल 1964 उन्होंने आश्रम की स्थापना की थी. यहां पर उन्होंने हनुमान मंदिर की भी स्थापना की थी. बता दें, साल 1961 में बाद अपने मित्र के साथ यहां आए थे आश्रम बनाने के प्लान किया था.

हनुमान जी का अवतार

एक बार नीम करोली बाबा आगरा से नैनीताल जा रहे थे तभी अचानक से उनकी तबियत खराब हो गई. सेहत बिगड़ने की वजह से उन्हें  वृंदावन स्टेशन पर उतरना पड़ा और अस्पताल में भर्ती कराया. 11 सितंबर 1973 में बाबा ने तुलसी और गंगाजल ग्रहण करके अपने प्राण त्याग दिए. नीम करोली बाबा हनुमान जी की पूजा करते थे. वहीं, उनके भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते थे. कहा जाता है कि जब भी कोई भक्त बाबा के पैर छूता तो उन्हें छूने के लिए मना कर देते थे और कहते थे कि हनुमान जी के छुओ. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.