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हरिद्वार से बाबा धाम तक, जिस शिवरात्रि पर लगी है कांवड़ियों की भीड़, क्या है उसकी पौराणिक मान्यता? पढ़ें ये व्रत कथा

Sawan 2024: इस साल आज यानी 2 अगस्त को सावन शिवरात्रि मनाई जा रही है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करना काफी शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की विधिवत रूप से पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि से जुड़ी खास पौराणिक मान्यता के बारे में.

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Edited By: India Daily Live
Sawan Shivratri
Courtesy: Pinterest

Sawan Shivratri: हिंदू धर्म में हर साल 12 शिवरात्रि तिथि पड़ती है. वहीं, साल में एक बार महाशिवरात्रि मनाई जाती है. हर महीने मासिक शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है. इन सभी शिवरात्रियों में महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि का बहुत महत्व होता है. इस साल आज यानी  2 अगस्त को सावन शिवरात्रि मनाई जा रही है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती पूजा अर्चना करना काफी शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की विधिवत रूप से आराधना की जाए तो सभी मनोकामना पूरी होती है. 

सावन शिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक मान्यता है. ऐसा कहा जाता है इस शुभ अवसर पर यह कथा सुनने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, चित्रभानु नामक शिकारी जानवरों का शिकार करके अपने घर चलाता था. उसके पास साहूकार का कर्ज था जो वो नहीं चुका पा रहा था. ऐसे में शिवरात्रि के दिन उसने शिकार को बंदी बना लिया था. शिकारी कारावास में शिव जी के धार्मिक प्रवचन और कथा सुनकर पूरा दिन बिताया था. उसके बाद शाम को साहूकार ने कर्ज चुकाने के लिए एक दिन का समय देकर उसे छोड़ दिया. 

शिकारी ने मानी हिरण की बात

जब चित्रभानु कर्ज चुकाने के लिए शिकार ढूंढ रहा था उस समय वह बेल के पेड़ पर चढ़ गया था. पेड़ के नीचे शिवलिंग बनी थी. शिकारी ने बिना देखे बेलपत्र तोड़ने लगा जिसकी वजह से कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर गिर रहे . इससे उसका व्रत पूरा हो गया. इसके बाद शिकारी ने तालाब के किनारे एक किनारे गर्भिणी हिरणी देखी उसे मारने के लिए धनुष-बाण निकाला. हिरणी ने बताया कि वह गर्भवती है. हिरणी ने वादा किया कि जब मेरा बच्चा हो जाएगा तो वह खुद आ जाएगी और मेरा शिकार कर सकते हों. शिकारी ने हिरण की बात मान ली.

हिरण का नहीं किया शिकार

इसके बाद फिर से चित्रभानु पेड़ पर चढ़ने लगा जिसकी वजह से बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए. ऐसे में  चित्रभानु ने शिव की पहली पहर की पूजा की. थोड़े समय बाद उसने हिरण को देखा और वह शिकार करने को तैयार हो गया. बाद में हिरणी ने बताया कि मैं अपने प्रेमी को ढूंढ रही हूं. मैं अपने पति से मिलते ही वापस आ जाउंगी. रात का अंतिम पहर बीत चुका था. इस बार भी चित्रभानु से बेलपत्र टूट गया और शिवलिंग पर गिर गया. इससे भी उसके पहर की पूजा हो गई. इसी तरह से तीसरे हिरणी को भी जाने दिया.

शिकारी का व्रत हुआ पूरा

शिकारी ने पूरी रात इंतजार किया और सुबह होने के बाद एक हिरण देखा. इस बार उसने फैसला कर लिया था कि वह इसका शिकार करेगा. हिरण कहता है कि अगर तुमने तीन हिरणियों और उनके बच्चों का शिकार कर लिया है तो मेरा भी कर लो लेकिन अगर उनको छोड़ दिया है तो मुझे भी छोड़ दो. हिरण ने बताया कि वह तीनों हिरणियों का पत्ती है. हिरण ने शिकारी से कहा कि जिस तरह उसने विश्वास कर हिरणियों को जाने दिया उसी तरह से उसे भी जाने दे. वह जल्दी ही पूरे परिवार के साथ शिकारी के सामने आ जाएगा. इसके साथ अनजाने में शिकारी का व्रत पूरा हो गया और मोक्ष और शिवलोक की प्राप्ति हुई. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.