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क्यों गया में किया जाता है पिंडदान? देवकीनंदन ठाकुर महाराज से जानें इससे जु़ड़ा महत्व

 


Garud Puran: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व होता है. पितृ पक्ष की शुरूआत भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से हो जाती है. इसका समापन आश्विन माह की अमावस्या तिथि को होती है. पिंडदान का मतलब होता है अपने पितरों को भोजन दान करना. मृत पूर्वजों को पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान यानी भोजन दान किया जाता है. पिंडदान को एक दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने के लिए माना जाता है. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. पिंडदान के वक्त मृतक के लिए चावल के आटे को गूंथ कर गोल आकार का पिंड बनाया जाता है. इस वजह से इस पिंडदान कहा जाता है.

बिहार में स्थित गया को पितरों की मुक्ति के खास शीर्ष तीर्थ माना जाता है. ऐसे में मृत व्यक्ति का पिंडदान गया में करने से व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए देवकीनंदन महाराज से जानते हैं गया में पिंडदान करने का महत्व. 
 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.