Vaishno Devi Mandir: माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए देश के हर कोने से लोग आते हैं. यह देश के मशहूर धार्मिक स्थलों में से एक है. माता वैष्णो देवी मंदिर जम्मू में कटरा से लगभग 14 किमी की दूरी पर त्रिकुटा पर्वत बसा हुआ है. क्या आप जानते हैं वैष्णो माता का नाम पहले क्या था और उनका जन्म कहां हुआ. चलिए जानते हैं वैष्णो माता की कहानी के बारे में.
पौराणिक कथा के मुताबिक माता वैष्णो देवी का जन्म दक्षिण भारत में रत्नाकर के घर हुआ था. ऐसा माना जाता है कि वैष्णो देवी के जन्म से पहले उनके माता-पिता ने कसम खाई थी जो भी बालिका चाहेगी उसमें अड़चन नहीं लाएंगे. बता दें, माता के जन्म से पहले उनके माता-पिता निसंतान रहे. माता का बचपन में नाम त्रिकुटा था लेकिन उसके बाद भगवान विष्णु के वंश में जन्म होने के बाद उन्हें वैष्णवी से पहचान बन गई.
ऐसा कहा जाता है कि माता वैष्णो देवी ने मानव जाति के कल्याण के लिए त्रेता युग में माता पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में एक सुंदर राजकुमारी का अवतार लिया था. माता ने त्रिकुटा पर्वत तपस्या की थी. जिसके बाद माता का शरीर महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में विलीन हो गया.
माता वैष्णो देवी का लगभग 700 साल पुराना है. इस मंदिर का निर्माण पंडित श्रीधर ने किया था. एक बार सपने में श्रीधर को दिव्य के जरिए भंडारा आयोजित करने के लिए कहा गया. लेकिन पैसों की तंगी होने का वजह से खूब परेशान रहा. इसके बाद श्रीधर ने सब कुछ किस्मत पर छोड़ दिया. सुबह होते ही वहां के लिए प्रसाद लेने आने लगे. उन्होंने देखी की उनके साथ एक छोटी कन्या वैष्णो देवी के रूप में उनकी यहां आई और प्रसाद तैयार करने लगी.
सभी लोग प्रसाद खाकर खुश हुए लेकिन वहां मौजूद भैरवनाथ को संतुष्टि नहीं मिली. भैरवनाथ ने अपने जानवरों के लिए खाने की मांग की लेकिन छोटी कन्या ने श्रीधर की तरफ से इनकार कर दिया. इसके वजह से भैरवनाथ को खूब क्रोध आया उसने दिव्य लड़की को पकड़ने की लेकिन उन्हें मिल नहीं पाई. छोटी कन्या वैष्णो देवी के रूप में गायब होने के वजह से श्रीधर खूब परेशान हो गया. लेकिन एक रात श्रीधर के सपने में वैष्णो माता ने दर्शन देकर त्रिकुटा पर्वत पर एक गुफा का रास्ता दिखाया. इस गुफा में उनका उनका प्राचीन मंदिर था. यह मंदिर अब माता वैष्णो देवी के नाम से जाना जाता है.
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