अप्सराएं, जिनकी सुंदरता पर मर-मिटते थे ऋषि मुनी, टूट जाती थी वर्षों की तपस्या
Mythological Love Stories: कई अप्सराओं ने ऋषि की तपस्या भंग की थी. ऐसा माना जाता है कि देवराज इंद्र के अनेक अस्त्रों में से एक अप्सराएं थी. इंद्र इन अप्सराओं को ऋषि की तपस्या नष्ट करने के लिए इस्तेमाल करते थे. इन अप्सराओं में मेनका, रंभा, उर्वशी जैसे नाम शामिल हैं. आइए जानते हैं उन अप्सराओं के बारे में जिन्होंने ऋषि मुनी की तपस्या नष्ट की है.
Saints And Apsara: कहा जाता है कि देवराज इंद्र के अनेक अस्त्रों में से एक अप्सराएं थी. इसे वे बड़ी चालाकी से इस्तेमाल करते थे. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अप्सराएं अपनी सुंदरता से पत्थरों को भी मोम बनाने में क्षमता रखती थी. देवराज को हमेशा यह डर लगा रहता था की ऋषि तपस्या करके उनकी की राजगद्दी वरदान में ना मांग लें. इस वजह से अप्सराएं को देवराज ऋषि की तपस्या को भंग करने के लिए भेज देते थे.
इस वजह से सौंदर्य की माया में भटक कर कई ऋषियों की तपस्या नष्ट हो गई थी. आइए जानते हैं उन अप्सराओं के बारे में जिन्होंने सुंदरता के जरिए कई ऋषि मुनी की सालों की तपस्या नष्ट की है.
मेनका
विश्वामित्र एक तपस्या करने में लीन थे जिसकी वजह से इंद्र काफी परेशान हो गए थे. उन्होंने ध्यान भटकाने के लिए मेनका को धरती पर भेजा था. काफी प्रयास के बाद मेनका ने विश्वामित्र की तपस्या को भंग कर दिया था. जब विश्वामित्र ने मेनका को देखा उसकी सुंदरता से आकर्षित हो गए. उसके बाद वह पति-पत्नी की तरह रहने लगे. उसके बाद मेनका ने पुत्री जन्म देकर फिर से स्वर्ग चले गई. जब विश्वामित्र को इंद्र की चाल पता चली तो पुत्री को छोड़कर फिर से तपस्या में लीन हो गए.
रंभा
एक बार ऋषि शेशिरायण रास्ते से गुजर रहे थे वहां उनकी नजर एक अत्यंत सुंदर कन्या गई. सुंदर कन्या अप्सरा रंभा थी. अप्सरा रंभा की खूबसूरत को देख खुद को संभाल नहीं पाए. इसके बाद दोनों एक-दूसरे से मोहित हो गए थे जिसके बाद संबंध बने. रंभा ने पुत्र को जन्म दिया था जो शिवजी के वरदान से अजेय थे लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने बड़ी चतुराई से अंत किया.
उर्वशी
पौराणिक कथा के मुताबिक विभांडक ऋषि कठोर तपस्या कर रहे थे. उनकी तपस्या को देखकर सभी देवी और देवता परेशान हो गए थे. उनकी तपस्या नष्ट करने के लिए स्वर्ग से उर्वशी अप्सरा को भेजा था. उर्वशी की सुंदरता को देख विभांडक ऋषि आकर्षित हो गए. दोनों के बीच संबंध बने और फिर श्रृंग ऋषि का जन्म हुआ. उर्वशी पुत्र का जन्म होने के बाद वापस स्वर्ग चले गई. इसके बाद विभांडक ऋषि अपने पुत्र के साथ घने जंगलों में चले गए.
घृताची
इंद्र के दरबार में घृताची सबसे खूबसूरत अप्सराओं में से एक थीं. एक बार भारद्वाज मुनि गंगा में स्नान करके घर लौट रहे होते हैं तभी स्नान करते हुई अप्सरा घृताची पर पड़ी. घृताची अप्सरा को देख भारद्वाज मुनि को आकर्षित हो गए थे.
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