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Jaya Ekadashi 2025: जया एकादशी के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, कट जाएंगे सभी कष्ट; मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी का व्रत रखा जाता है, जो इस साल 8 फरवरी 2025 को है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस वर्ष मृगशिरा नक्षत्र और वैधृति योग का विशेष संयोग बन रहा है.

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Edited By: Princy Sharma
Jaya Ekadashi 2025
Courtesy: Pinterest

Jaya Ekadashi 2025: माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस साल 8 फरवरी 2025 को यह शुभ व्रत पड़ रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के सभी कष्टों का नाश होता है और उसे भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं, इस व्रत को करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है, लेकिन जया एकादशी को विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना गया है. यह व्रत व्यक्ति को न केवल पापों से मुक्त करता है बल्कि उसे सभी नकारात्मक शक्तियों से भी बचाता है. इस वर्ष जया एकादशी पर मृगशिरा नक्षत्र और वैधृति योग का संयोग बन रहा है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और कथा का पाठ करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होती हैं और उसके भाग्य का उदय होता है.

जया एकादशी व्रत कथा

धर्मराज युधिष्ठिर ने एक बार भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि माघ शुक्ल एकादशी का क्या महत्व है. इसके उत्तर में श्रीकृष्ण ने जया एकादशी की कथा सुनाई. बहुत समय पहले, देवलोक में नंदनवन में एक बड़ा उत्सव आयोजित किया गया था. इस उत्सव में देवता, ऋषि-मुनि और गंधर्व उपस्थित थे. गंधर्व अपनी मधुर आवाज में गायन कर रहे थे और अप्सराएं नृत्य कर रही थीं. इसी सभा में गंधर्व माल्यवान भी अपनी प्रस्तुति दे रहा था. उस समय एक सुंदर अप्सरा पुष्पवती भी वहां उपस्थित थी.

जैसे ही पुष्पवती ने माल्यवान को देखा, वह उस पर मोहित हो गई. उसके मन में प्रबल आकर्षण जाग उठा और वह सभा की मर्यादा भूलकर अपनी अदाओं से माल्यवान को लुभाने लगी. धीरे-धीरे माल्यवान भी उसकी ओर आकर्षित हो गया और अपने गायन की मर्यादा से भटक गया. दोनों की इस अनुचित हरकत को देखकर देवराज इंद्र क्रोधित हो गए.

देवराज इंद्र ने उन्हें श्राप दे दिया कि वे दोनों अपने दिव्य स्वरूप को खो देंगे और स्वर्ग से वंचित होकर पृथ्वी पर गिरकर पिशाच योनि में भटकेंगे. इंद्र के श्राप के प्रभाव से वे दोनों तुरंत ही भयानक पिशाच बन गए और पृथ्वी पर आ गिरे.

जया एकादशी व्रत से मिला मोक्ष

पिशाच योनि में जन्म लेने के बाद वे दोनों बहुत दुखी रहते थे. एक दिन वे अत्यंत भूख-प्यास से व्याकुल होकर जंगल में भटक रहे थे. संयोगवश उस दिन माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी. उस दिन उन्होंने कुछ भी अन्न ग्रहण नहीं किया और केवल फलाहार किया. ठंड के कारण रात में उनकी मृत्यु हो गई.

चूंकि अनजाने में उन्होंने जया एकादशी का व्रत कर लिया था, इसलिए उन्हें पिशाच योनि से तुरंत मुक्ति मिल गई. वे दोनों पहले से भी अधिक सुंदर और तेजस्वी बन गए. साथ ही, उन्हें पुनः स्वर्गलोक में स्थान भी मिल गया. जब देवराज इंद्र ने यह चमत्कार देखा, तो उन्होंने माल्यवान और पुष्पवती से पूछा कि वे इस श्राप से कैसे मुक्त हुए. माल्यवान ने बताया कि यह केवल जया एकादशी व्रत का प्रभाव है, जिसने उन्हें पिशाच योनि से मुक्त कर स्वर्ग का अधिकारी बना दिया.

जया एकादशी व्रत करने के लाभ

  • इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है  
  • व्यक्ति को भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है  
  • धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है 
  • मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है
  • जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है

कैसे करें जया एकादशी व्रत?

  • इस दिन प्रातःकाल स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें  
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें
  • कथा का पाठ करें और विष्णु सहस्रनाम का जाप करें  
  • फलाहार करें और अनाज का सेवन न करें
  •  रात में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन गाएं

यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.   theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.