हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का बहुत बड़ा महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण पैदा हुए थे. बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. हर साल जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करते हैं. मान्यता है कि इस भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.
कई मान्यताओं के मुताबिक, जन्म के बाद वासुदेव श्रीकृष्ण को टोकरी में रखकर नंद बाबा के पास ले जा रहे थे. जब वह टोकरी में रखे श्रीकृष्ण को लेकर नदी पार कर रहे थे तब रास्ते में शेषनाग ने ही श्रीकृष्ण की रक्षा की थी. क्या आपको पता है शेषनाग कौन हैं? चलिए जानते हैं 'शेषनाग' के बारे में.
शेषनाग को ब्रह्मांड का पहला नाग बताया जाता है क्योंकि सबसे पहले यही पैदा हुए थे. प्रजापति कश्यप की पत्नी कद्रू से नागों की उत्पत्ति हुई थी. उन्होंने नागों के रूप में पुत्र की कामना की थी. बता दें कि शेषनाग उनके सबसे बड़े पुत्र हैं.
ब्रह्माजी के मानस पुत्र प्रजापति कश्यप की दो पत्नियां कद्रू और दूसरी विनीता थीं. कद्रू ने सांपों को जन्म दिया था. वहीं, विनीता ने पक्षियों को पैदा किया था. कद्रू को विनीता से बहुत जलन होती है. एक बार विनीता को छलपूर्वक क्रीड़ा में कद्रू ने हराकर उसे दासी बना लिया. जब शेषनाग को पता चला कि उसकी मां और भाई ने छल किया तो वह दुखी हो गया और उनका साथ छोड़ दिया. इसके बाद शेषनाग गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने लगे.
ब्रह्माजी, शेषनाग की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए. ब्रह्माजी ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी बुद्धि धर्म से कभी विचलित नहीं होगी. उसके बाद शेषनाग क्षीरसागर पहुंचे और भगवान विष्णु की सेवा करने लगे. शेषनाग को कद्रूनन्दन, अनन्त, आदिशेष, कश्यप आदि नाम से भी जाना जाता है. शेषनाग ने भगवान विष्णु के साथ ही कई अवतार लिए.
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