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महाभारत का ऐसा सेनापति जिसने एक ही रात में कर दिया था पांडवों की सेना का सर्वनाश, उल्लू और कौवे से है कनेक्शन

Mahabharat Story: महाभारत में कई बड़े-बड़े योद्धाओं ने युद्ध में भाग लिया. दुर्योधन अपने गलत फैसलों के चलते ही युद्ध हार गया. दुर्योधन के पास एक ऐसा योद्धा था, जिसको अगर उसने द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद सेनापति बना दिया होता तो युद्ध में जीत कौरवों की हो सकती थी. 

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: social media

Mahabharat Story: महाभारत के युद्ध में एक से एक बड़े योद्धा ने भाग लिया, जिनको हरा पाना नामुमकिन सा था. बड़ी बात ये रही कि इन योद्धाओं ने दुर्योधन की ओर से युद्ध लड़ा फिर भी वह हार गया. इसका मुख्य कारण दुर्योधन का युद्ध के दौरान गलत फैसला लेना रहा. पौराणिक कथाओं के अनुसार दर्योधन की सेना में एक ऐसा योद्धा भी था. जो 72000 योद्धाओं से अकेले युद्ध कर सकता था. यह योद्धा महाभारत युद्ध के अंत तक जीवन रहा. 

कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से पहले दिन से दसवें दिन तक भीष्म पितामह सेनापति रहे. उनकी मृत्यु के पश्चात 11वें दिन से 15 दिन तक गुरु द्रोणाचार्य सेनापति की भूमिका में रहे. द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद दुर्योधन ने अपने मित्र कर्ण को सेनापति बनाया. बस यही दुर्योधन की पराजय का कारण बना. इस दौरान उसके पास एक योद्धा भी था, जो अगर सेना की बागडोर संभालता तो शायद कौरवों की हार नहीं होती. 

कौन था ये योद्धा? 

इस योद्धा का नाम अश्वत्थामा था. यह गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे. इसके साथ हस्तिनापुर के कुलगुरु कृपाचार्य के भांजे थे. अश्वत्थामा एक समय में 72000 योद्धाओं से अकेले युद्ध करने का सामर्थ्य रखता था. अश्वत्थामा का जन्म अंगिरा गोत्र के भारद्वाज ऋषि के पुत्र द्रोणाचार्य के घर पर हुआ था. कृपी से द्रोणाचार्य का विवाह हुआ था और कृपी से अश्वत्थामा का जन्म हुआ था. अश्वत्थामा को पूरे युद्ध में कोई भी नहीं हरा पाया था. वे रुद्र के अंशावतार माने जाते थे. 

उल्लू और कौवे ने दी थी दुर्योधन को सलाह

पौराणिक मान्यता है कि द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद कर्ण को सेनापति बनाया गया था. कर्ण की मृत्यु के बाद रात में उल्लू और कौवे की सलाह पर अश्वत्थामा को दुर्योधन ने अपना सेनापति बनाया. अश्वत्थामा ने पांडवों की लाखों की संख्या में बची सेना को एक ही रात में मार दिया और पांडवों की पत्नियों के गर्भ में पल रहे उनके पुत्रों को भी मार डाला था. अश्वत्थामा द्वारा किए गए इस नरसंहार के बाद पांडवों में विरक्ति का भाव आ गया था. 

श्रीकृष्ण को आया था गुस्सा

अश्वत्थामा के इस कृत्य पर भगवान श्रीकृष्ण को गुस्सा आ गया था. उन्होंने अश्वत्थामा को 3000 वर्ष तक कोढ़ी बनकर भटकने का श्राप दे दिया था. अश्वत्थामा एक चिरंजीवी थे. इस कारण वे आज भी जिंदा हैं. इसके साथ ही उनके मामा कृपाचार्य भी अभी जीवित हैं. 

दुर्योधन की सबसे बड़ी थी भूल

युद्ध समाप्ति के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण मरणासन्न अवस्था में पड़े हुए दुर्योधन से मिलने गए तो उसने भगवान श्रीकृष्ण को खूब खरी-खोटी सुनाई. इस पर उन्होंने युद्ध में हुईं दुर्योधन की गलतियों को याद कराते हुए बताया कि उसने अश्वत्थाम की शक्ति को नहीं पहचाना था. अगर वह कर्ण की जगह अश्वत्थामा को सेनापति बना देता तो जीत उसकी हो सकती थी. 

18 विद्याओं में पारंगत था अश्वत्थामा

अश्वत्थामा 64 में से 18 विद्याओं में पारंगत था. युद्ध कौशल उसने अपने पिता द्रोणाचार्य, परशुराम, दुर्वासा, व्यास, भीष्म, कृपाचार्य आदि महापुरुषों से ले रखी थी. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.