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षटतिला एकादशी आज, इस विधि से पूजन करने से जागेगा आपका भाग्य

माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान श्रीहरि की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं.

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Edited By: Mohit Tiwari
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Courtesy: pexels

हिंदू धर्म में माघ का महीना अति पवित्र और पुण्यदायी माना गया है. इस महीने में स्नान, दान, व्रत, तपस्या से भगवान विष्णु की कृपा जल्द प्राप्त होती है. माघ माह के कृष्ण पक्ष में की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. षटतिला एकादशी को पापहारिणी एकादशी भी कहते है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन तिल से बने हुए व्यंजन या तिल से भरा हुआ पात्र दान करने से अंनत पुण्यों की प्राप्ति होती है.

पद्मपुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण, युधिष्ठिर को इस एकादशी की महिमा बताते हुए कहते हैं कि हे नृपश्रेष्ठ! माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी षटतिला, जो पापहारिणी के नाम से विख्यात है, यह समस्त पापों का नाश करती है. जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है, उससे अधिक फल षटतिला एकादशी व्रत करने से मिलता है. इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति का वास होता है, नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं. इस दिन खाने वाले तिल का 6 प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है. इस कारण से इस एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है.

बन रहे हैं ये शुभ योग

6 फरवरी के दिन षटतिला एकादशी मनाई जाएगी. इस दिन सुबह 8 बजकर 50 मिनट तक व्याघात योग बन रहा है. व्याघात योग के बाद हर्षण योग बनेगा जो 7 फरवरी को 6 बजकर 9 मिनट तक रहेगा. इसी के बाद ज्येष्ठा नक्षत्र 7 बजकर 35 मिनट तक रहेगा.

षटतिला एकादशी व्रत एवं पूजा विधि

षटतिला एकादशी व्रत रखने वाले दिन गंध, फूल, धूप दीप, पान सहित विष्णु भगवान का षोडशोपचार से पूजन करें. इसके साथ ही प्रभु को उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाएं. इस दिन भगवान विष्णु को तिल के बने लड्डुओं का भी भोग लगाएं. रात को तिल से 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा इस मंत्र बोलते हुए हवन करें. इसके साथ ही भगवान के भजन करें, अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं. इसके बाद ही स्वयं तिल युक्त भोजन करें.तिलों से निर्मित प्रसाद ही सभी में बांटें. व्रत के दौरान क्रोध, ईर्ष्या आदि जैसे विकारों का त्याग करके फलाहार का सेवन करना चाहिए. इसके साथ ही रात्रि जागरण भी करना चाहिए. इस दिन ब्रह्मण को एक भरा हुआ घड़ा, छतरी, जूतों का जोड़ा, काले तिल और उससे बने व्यंजन, वस्त्रादि का दान करना चाहिए.

मोक्ष की होती है प्राप्ति

षटतिला एकादशी के दिन सुबह उठकर पानी में गंगाजल और तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर और भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने आपके ऊपर भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहेगी और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा षटतिला एकादशी पर तिल से हवन, तिल का भोजन और तिल का दान करने से व्यक्ति नर्क जाने से बच जाता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.