...तो इन वजहों से महादेव ने खोली थी अपनी तीसरी आंख
Third eye of lord shiva : हिंदू धर्म में महादेव को देवों का देव कहा जाता है. भगवान शिव बेहद ही दयालु और करुणा के सागर हैं, लेकिन जब-जब भोलेनाथ को क्रोध आया है तो उन्होंने अपनी तीसरी आंख को खोल दिया है. तीसरी आंख खुलते ही जगत में प्रलय आ जाती है. क्या आप जानते हैं कि भगवान भोलेनाथ ने कई बार अपनी तीसरी आंख को खोलना पड़ा है.
नई दिल्ली. भगवान शिव बहुत ही दयालु और भोले हैं. धार्मिक शास्त्रों में महादेव को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. भगवान शिव का रौद्र रूप बेहद ही खतरनाक होता है, इस रूप के कारण ही उनका नाम रूद्र भी है. तीन आंखों के कारण भगवान शिव को त्रयंबकेश्वर भी कहा जाता है. भोलेनाथ जब अत्यंत क्रोध में होते हैं, तब उनकी तीसरी आंख खुल जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को कब-कब तीसरी आंख खोलनी पड़ी है.
कब खुलती है तीसरी आंख
शास्त्रों के अनुसार जब विनाश का समय आता है या फिर सृष्टि पर असुरों का अत्याचार बढ़ जाता है तो भगवान शिव अपनी तीसरी आंख खोलते हैं.
देवराज इंद्र से युद्ध में खोली थी तीसरी आंख
एक बार देवराज इंद्र और देवगुरु बृहस्पति भगवान शिव से मिलने कैलाश गए, तब शिव जी ने उनके धैर्य की परीक्षा लेने लगे. शिवजी ने एक ऋषि का रूप धारण किया और इंद्र और उनके गुरु के रास्ते में बैठ गए. इंद्र के कई बार पर भी वे रास्ते से नहीं हटे, तब इंद्र को गुस्सा आ गया और उन्होंने क्रोधित होकर शिवजी पर अपना वज्र चला दिया. यह देख शिवजी ने भी क्रोध में अपनी तीसरी आंख खोल दी. यह देखकर देव गुरु बृहस्पति ने बीच में आकर इंद्र की जान बचाई थी, तब शिवजी ने समुद्र की ओर अपनी आंख घुमा दी थी, जिससे जालंधर असुर का जन्म हुआ था.
कामदेव को किया था भस्म
भगवान शिव की पहली पत्नी सती के पिता ने यज्ञ का आयोजन कराया था, जिसमें भगवान शिव को छोड़कर सभी देवी और देवताओं को आमंत्रित किया था. देवी सती को अपने पति का यह अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने उसी यज्ञ में अपनी आहुति दे दी. देवी सती के प्राण जाने के बाद भगवान शिव क्रोधित हो गए और लंबी साधना में चले गए. वे कई वर्षों तक साधना में रहे. ऐसे में सभी देवी और देवताओं ने भगवान शिव को साधना से जगाने का सोचा और कामदेव ने इस काम को करने का ठाना. उन्होंने तीर मारकर शिवजी की साधना तोड़ दी, जिसपर शिवजी ने तीसरी आंख खोल दी और कामदेव को भस्म कर दिया.
माता पार्वती ने बंद कर दी थीं दोनों आंखें
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने एक सभा का आयोजन किया था. सभा में सभी देवताओं, ऋषि-मुनियों और ज्ञानी लोगों को बुलाया गया. इसी दौरान माता पार्वती वहां पहुंचीं और शिवजी की आंखों पर अपने दोनों हाथ रख दिए, जिससे सृष्टि में अंधेरा छा गया. सूर्य का प्रभाव समाप्त हो गया और धरती पर हाहाकार मच गया. भगवान शिव से यह दृश्य देखा नहीं गया और उनको अपनी तीसरी आंख खोलनी पड़ी. माता पार्वती ने जब शिवजी की आंखों को बंद किया था, उसकी तपन से उनके हाथ से पसीने की बूंद नीचे गिरी थी, जिससे अंधक राक्षस का जन्म हुआ था. जब माता पार्वती ने शिवजी से तीसरी आंख का रहस्य पूछा तो उन्होंने बताया कि अगर वो तीसरी आंख नहीं खोलते तो सृष्टि का विनाश हो जाता.