Guruwar Vrat Katha: हर दिन किसी न किसी ग्रह से संबधित होता है. कुछ ऐसे काम होते हैं, जो उस दिन करने से लाइफ पर खराब असर होता है. उनसे व्यक्ति के जीवन में गरीबी आती है. गुरुवार का दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित होता है. बृहस्पतिवार के दिन गुरुवार का व्रत रखना काफी शुभ माना जाता है. इस व्रत वाले दिन कथा को पढ़ने व सुनने से काफी लाभ होता है.
जीवन में सुख और समृद्धि पाने के लिए लोग गुरुवार के दिन व्रत रखते हैं. इस दिन कथा को पढ़ते और सुनते हैं और पीला रंग के वस्त्र पहनते हैं और शाम को मात्र एक समय पीले भोजन को करते हैं. इस दिन केले की पूजा की जाती है. इस कारण केला खाना इस दिन वर्जित होता है. बृहस्पितवार की व्रत कथा में स्वयं बृहस्पतिदेव ने कुछ ऐसे काम बताए हैं, जिनको गुरुवार के दिन करने से कंगाली आती है. आइए जानते हैं कि वे कौन से काम हैं, जो बृहस्पतिवार के दिन नहीं करना चाहिए.
गुरुवार के दिन की व्रत कथा में कुछ ऐसे काम बताए गए हैं, जिनको नहीं करना चाहिए. व्रत कथा के अनुसार, प्राचीन काल की बात है भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था. राजा के पास सोने-चांदी आदि किसी भी प्रकार की कोई कमी न थी. राजा बड़ा प्रतापी और दान देने वाला था. वहीं, राजा की पत्नी इस बात से बड़ा गुस्सा रहती थी. उसको दान और पूजा पाठ अच्छा नहीं लगता था. इस कारण वह इससे परेशान रहती थी.
एक बार की बात है, जब राजा शिकार खेलने जंगल की ओर गए हुए थे, तब उनके द्वार पर बृहस्पतिदेव एक साधु बनकर उनके द्वार पर आए और भिक्षा की याचना करने लगे. इस पर रानी ने कहा कि हे साधु महाराज में इस धन और दान से परेशान हूं. कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरे पास धन न रहे. रानी की बात को सुनकर बृहस्पति देव भी आश्चर्य में पड़ गए क्योंकि उनको आजतक कोई भी ऐसी स्त्री नहीं दिखी थी, जो दान से परेशान हो. इस कारण उन्होंने रानी से कहा कि हे रानी अगर तुम्हारे पास धन आदि है तो उसे पुण्य कार्य में लगाओं, भूखों को भोजन करवाओ और गर्मी में प्याऊ लगवाओ, कुंवारी कन्याओं का विवाह करवाओ और दान दो. साधु की इन बातों को सुनकर रानी क्रोधित हुई ओर उनसे बोली कि यह सब काम मेरे पतिदेव करते हैं. आप ऐसा उपाय बताएं, जिससे यह धन ही खत्म हो जाए. रानी के वचन सुन बृहस्पति देव ने कहा कि ठीक है अगर तुम ऐसा ही चाहती हो तो ऐसा ही होगा, मैं तुमको उपाय बताता हूं.
बृहपतिदेव ने कहा कि गुरुवार के दिन घर लीपना और पोतना मतलब झाड़ू-पोछा करना. कपड़े धुलना या फिर धोबी को देना, राजा से भी कहना की दाढ़ी-बाल बनवाएं. भोजन में मांस-मदिरा और प्याज खाना. ऐसा करने से धीरे-धीरे तुम कंगाल हो जाओगी. रानी यह बात सुनकर खुश हो गई. वह पहले ही गुरुवार को जल्दी सोकर उठी, मकान को लिपवाया और पुतावाया, धोबी को कपड़ धुलने के लिए दिए. राजा से कहा कि आप हजामत बनवाए. भोजन बनाने के बाद चूल्हे के पीछे रख दिया.
तीन गुरुवार भी बीत नहीं पाए थे कि धीरे-धीरे संपूर्ण धन गायब हो गया. अब उनके पास खाने को भी नहीं रहा. बीमारी भी लग गईं और राजा और रानी कंगाल हुए. इसके बाद उनको और भी यातनाएं झेल नी पड़ीं. इस कारण गुरुवार के दिन इन कामों को नहीं करना चाहिए.
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