क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा, ये दिन क्यों है खास? जानिए कथा और पूजा विधि
Guru Purnima: गुरु पूर्णिमा का त्यौहार हिंदू और जैन धर्म में खूब महत्वपूर्ण माना जाता है. गुरु पूर्णिमा का दिन गुरुओं के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का दिन होता है. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है. इस साल आज यानी 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाया जा रहा है. इस शुभ दिन पर अपने गुरुओं ध्यान और उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए.
Guru Purnima 2024: आषाढ़ माह यानी जून-जुलाई की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है. हिंदू और जैन दोनों के लिए यह त्यौहार महत्वपूर्ण है. यह त्योहार भारत के अलावा नेपाल और भूटान में भी मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का दिन है. गुरू का मतलब होता है जो अंधकार को दूर करता है या फिर जो ज्ञान की ओर ले जाने में मदद करता है. 'पूर्णिमा' वो रात है जिस दिन त्यौहार पड़ता है.
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है जिसे महाभारत के लेखक ऋषि व्यास की जयंती कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा विभिन्न योगों के समापन का प्रतीक है. इस साल आज यानी 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है.
गुरु पूर्णिमा का इतिहास
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक गुरु पूर्णिमा का दिन ऋषि व्यास से जुड़ा हुआ है. भगवान वेद व्यास को हिंदू धर्म का आदि गुरु माना जाता है. वेदव्यास ने महाभारत, वेदों और पुराणों के साथ कई महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी. इसके अलावा गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने ज्ञान प्राप्त करने के लिए अपने गुरु ऋषि शांडिल्य को चुना था. ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध ने भी अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था.
क्या है पूजा विधि?
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नहाने में थोड़ा सा गंगाजल मिला लें. नहाने के बाद मंदिर में दिया जलाएं. इसके साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उसके बाद भोग लगाएं और भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालें. इस दिन सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं. अपने गुरुओं ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद लें. चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा करें. इसके साथ जरूरतमंद को दान करें और गाय को चारा या भोजन जरूर खिलाएं.
गुरु पूर्णिमा मंत्र
गुरु पूर्णिमा के दिन ॐ बृं बृहस्पतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करने से कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख शांति और समृद्धि का वास होता है.
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