Ganesh Chaturthi 2024: पूरा भारत धूमधाम से 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाएगा. हिंदू धर्म में पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश का नाम लिया जाता है. ऐसे करने से कई लाभ मिलते हैं और गणपति बप्पा की कृपा हमेशा बनी रहती है. अगर आप गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन कथा का पाठ करते हैं तो गणपति बप्पा खुश होते हैं. चलिए जानते हैं उस कथा के बारे में जो गणेश चतुर्थी के दिन जरूर पढ़नी या सुननी चाहिए.
एक बार भगवान गणेश और मां पार्वती नदी किनारे बैठे हुए थे. वक्त बिताने के लिए माता पार्वती ने भगवान शिव से चौपड़ खेलने के लिए कहा. लेकिन समस्या तब पैदा हुई जब यह समझ नहीं आ रहा है था कि हार-जीत का फैसला कौन करेगा. तभी भगवान शिव ने कुछ तिनके बंटोरे और उनके पुतले बनाकर उसमें प्राण प्रतिष्ठा की. इसके बाद पुतलों से कहा कि खेल को देखकर हार-जीत के बारे में बताना.
इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव ने खेल शुरू किया. ये खेल उन्होंने 3 बार खेला. तीनों बार माता पार्वती जीती. लेकिन जब फैसले सुनाने की बारी आई तो लड़के ने मां पार्वती को विजयी बनाने की जगह भगवान शिव को विजयी घोषित किया. ये फैसला सुनकर मां पार्वती गुस्सा हो गई और गलत फैसला लेने के लिए श्राप दिया. मां पार्वती ने बालक को लंगड़ा होने का और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दिया. बालक ने जब मां पार्वती से इसके लिए माफी मांगी तो उसे माफ करते हुए कहा कि एक साल बाद इसी जगह से नाग कन्याएं गणेश पूजन के लिए आएंगी. उनके हिसाब से व्रत रखना. इसके बाद तुम्हें फल प्राप्ति होगी.
एक साल बाद उसी स्थान से नाग कन्याएं आईं और बालक ने उनसे व्रत की जानकारी दी. बालक ने पूरे विधि-विधान से 21 दिन के लिए गणपति बप्पा का व्रत रखा और पूजा की. इससे भगवान गणेश खुश हो गए और बालक से वरदान मांगने के लिए कहा. बालक ने कहा कि इतनी ताकत दें जिससे वो अपने पैरों पर खड़ा हो सके और अपने माता-पिता के साथ कैलाश जा सके.
इस व्रत को भगवान शिव ने भी रखा था. दरअसल, खेल के दौरान माता पार्वती भगवान शिव से गुस्सा हो गई थी. जब बालक कैलाश पर्वत वापस आया था तो उसने भगवान शिव को कथा सुनाई. इसके बाद भगवान शिव ने भी 21 दिन का व्रत रखा था. फिर मां पार्वती प्रसन्न हो गई थी और उनका गुस्सा भी शांत हो गया था.
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