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Chaitra Navratri 2025: 'एक स्त्री के हाथों मेरी मौत हो', तो इसलिए मनाई जाती है चैत्र नवरात्रि, गारंटीड नहीं पता होगी आपको असली कहानी?

चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा की पूजा का पर्व है. यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस समय शक्ति संचय के लिए व्रत और साधना करते हैं. आखिर क्यों मनाते हैं चैत्र नवरात्रि? जानिए ये पौराणिक कथा.

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Edited By: Anvi Shukla
chaitra navratri 2025
Courtesy: social media

Importance of Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि का त्योहार हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है. इसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है और यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है. इस त्योहार का मुख्य कारण है महिषासुर नामक राक्षस का वध.

महिषासुर की कहानी: महिषासुर रम्भासुर का पुत्र था, जो बहुत शक्तिशाली था. उसने ब्रह्माजी की घोर तपस्या की और उनसे अमरता का वरदान मांगा. ब्रह्माजी ने उसे यह वरदान दिया कि उसकी मृत्यु किसी पुरुष के हाथ से नहीं होगी, बल्कि केवल एक स्त्री ही उसे मार सकती है.

वरदान पाकर महिषासुर अहंकारी हो गया और उसने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया. देवताओं को स्वर्ग से निकालकर उन्हें परेशान करने लगा. सभी देवता त्रस्त होकर मां आदिशक्ति जगदंबा की शरण में गए. उन्होंने मां से प्रार्थना की कि वे महिषासुर के अत्याचारों से उन्हें बचाएं.

मां दुर्गा का अवतार

देवताओं की प्रार्थना सुनकर मां आदिशक्ति ने चैत्र नवरात्रि के पहले दिन अपने नौ रूपों को प्रकट किया. इन नौ रूपों को नवदुर्गा कहा जाता है. देवताओं ने मां दुर्गा को अपने-अपने शस्त्र दिए, जिससे वे और भी शक्तिशाली हो गईं. मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और अंत में नवमी के दिन उसका वध कर दिया. इस प्रकार, मां दुर्गा ने देवताओं और तीनों लोकों को महिषासुर के आतंक से मुक्ति दिलाई.

चैत्र नवरात्रि का महत्व

चैत्र नवरात्रि का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. यह त्योहार मां दुर्गा की शक्ति और उनके नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है. इन नौ दिनों में, भक्त माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं, व्रत रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. यह त्योहार हमें यह भी सिखाता है कि हमें हमेशा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए और बुराई से लड़ना चाहिए. मां दुर्गा हमें शक्ति और साहस प्रदान करती हैं ताकि हम जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें.