Chaitra Navratri 2025 4th Day Maa Kushmanda: चैत्र नवरात्रि 2025 के चौथे दिन में मां कुष्मंता की पूजा की जाती है. मां कुष्मंता को अष्टभुजा भी कहा जाता है क्योंकि उनकी आठ भुजाएं हैं. उनकी भुजाओं में धनुष, बाण, कमल, कमंडल, अमृत कलश, चक्र और गदा हैं. मां कुष्मंता की सवारी सिंह है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है. मां कुष्मंता की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मां कुष्मांडा व्रत कथा: मां कुष्मांडा व्रत कथा के अनुसार, सृष्टि की शुरुआत में एक ऊर्जा गोले के रूप में प्रकट हुई. इस गोले से तेज प्रकाश उत्पन्न हुआ और यह नारी के रूप में परिवर्तित हो गई. माता ने सबसे पहले तीन शक्तिशाली देवियों को जन्म दिया, जिनके नाम महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती हैं.
महाकाली के शरीर से शिव और सरस्वती का जन्म हुआ. महालक्ष्मी के शरीर से ब्रह्मा और लक्ष्मी का जन्म हुआ. महासरस्वती के शरीर से विष्णु और शक्ति का जन्म हुआ. माता ने शिव को शक्ति, विष्णु को लक्ष्मी और ब्रह्मा को सरस्वती को पत्नी के रूप में प्रदान कीं. ब्रह्मा को सृष्टि की रचना, विष्णु को पालन और शिव को संहार करने का जिम्मा सौंपा गया. इस तरह संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना मां कुष्मांडा ने की. ब्रह्मांड की रचना करने की शक्ति रखने वाली माता को कुष्मांडा के नाम से जाना गया.
मां कुष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कुष्मांडा की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और मां संकटों से रक्षा करती हैं. आविवाहित लड़कियों को मां कुष्मांडा की पूजा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, जबकि सुहागन स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है. इसके अलावा, मां कुष्मांडा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं.