एक पत्नी, 10 पति और किसी के 10 तो किसी के 7 पति, द्रौपदी से पहले इन महिलाओं ने की थी कई शादियां
द्रौपदी महारानी कुंती के पांचों पुत्रों पाण्डवों की पत्नी थीं. बहुत कम लोग जानते हैं कि द्रौपदी से पहले भी कई ऐसी महिलाएं थीं जिनका एक से अधिक पुरूषों से संबंध रह चुका है. प्रचेती और जटिला नामक दो कन्याओं का पहले ही बहुपति विवाह हो चुका है.
महाभारत के अनुसार जब स्वयंवर में अर्जुन द्रौपदी को जीतकर अपने अन्य भाइयों के साथ माता कुंती के पास आए बोले देखो माताश्री आज हम भिक्षा में आपके लिए क्या लाए हैं. इस दौरान कुंती ने बिना देखे ही कह दिया कि आपस में बांट लो. ऐसे में मुख से निकले हर शब्द का बहुत महत्व होता है. जैसे ही कुंती पटलकर देखती है. वह चिंतित हो जाती हैं कि उन्होंने यह क्या कह दिया. जिसके बाद वह द्रौपदी को भिक्षा कहने पर अर्जुन और भीम को डांट रही होती हैं कि युधिष्ठिर वहां आ जाते हैं. सारी बात समझने के बाद युधिष्ठिर कुंती के सवाल का जवाब देते हुए बताते हैं कि प्राचीन काल में भी ऐसा हो चुका है कि एक स्त्री के कई पति हुए हैं और यह धर्म संगत रहा है.
इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण वहां आते हैं और बताते हैं कि कैसे द्रौपदी के लिए कुंती के मुख से ये शब्द निकले और क्यों द्रौपदी को पांच पतियों की पत्नी बनाना होगा. श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को याद दिलाया कि पिछले जन्म में कैसे द्रौपदी ने भगवान शिव की तपस्या कर ऐसे वर की कामना की थी, जो धर्मराज की तरह न्याय प्रिय, ज्ञानी, सौंदर्य में सबसे उत्तम, सर्वश्रेष्ठ गदाधारी और महान धनुर्धर हो, जो सर्वगुण संपन्न हो. क्योंकि इतने गुण एक ही पुरुष में होना संभव हैं इसलिए द्रौपदी को अपने वरदान फलस्वरूप 5 पति मिले हैं.
27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा से हुई
सृष्टि की रचना के बाद इसके संचालन के लिए ब्रह्माजी ने अपने 10 मानस पुत्रों को उत्पन्न किया जिन्हें प्रचेता कहा गया है. इन्हें सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी है. चंद्रमा ने इन सभी प्रचेताओं का विवाह वृक्ष कन्या और यक्ष की बहन मारिषा से कराया. प्रचेताओं से विवाह होने के कारण इन्हें प्रचेती और प्रचीती नाम से जाना जाने लगा. फिर प्रचेताओं और चंद्रमा के आधे-आधे तेज से मारिषा ने दक्ष प्रजापति को जन्म दिया है. दक्ष प्रजापति ने ही सृष्टि संचालन के कार्य को आगे बढ़ाया और मैथनी सृष्टि का विकास हुआ. इन्होंने अपनी 10 कन्याओं का विवाह धर्म से करवाया और 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा से हुई. उन्हीं की पुत्री सती से भगवान शिव का विवाह हुआ था.
जटिला का विवाह भी 7 ऋषियों से हुआ
गौतम ऋषि के कुल में जटिला नाम की कन्या हुई थी. इनका विवाह भी 7 ऋषियों से हुआ था. संस्कृत साहित्य में गौतम का नाम अनेक विधाओं से संबंधित है. वास्तव में गौतम ऋषि के गोत्र में उत्पन्न किसी भी व्यक्ति को गौतम कहा जाता है. अत: यह व्यक्ति का नाम न होकर गोत्र का नाम है. वेदों में गौतम मंत्रद्रष्टा ऋषि माने गए हैं. साथ ही न्याय सूत्रों के रचियता भी गौतम माने जाते हैं. उन्हीं के वंशज श्वेतकेतु हुए उन्होंने विवाह व्यवस्था का आरंभ किया. इससे पूर्व कोई भी पुरुष और स्त्री किसी भी स्त्री अथवा पुरुष से संबंध बना सकता था.
कहा जाता है कि श्वेतकेतु एक बार अपनी माता और पिता के साथ बैठे थे उसी समय एक ऋषि आए उनकी माता का हाथ पकड़ लिया और उन्हें अपने साथ चलने के लिए बोला. इससे श्वेतकेतु बड़े नाराज हुए और उन्होंने विवाह की व्यवस्था का आरंभ किया ताकि स्त्री और पुरुष मर्यादित रहें.