Basant Panchami 2025: हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है, जो खासकर ज्ञान, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस होता है. इस दिन को ऋषि पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है. इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी, यानी आज मनाई जा रही है.
इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है, इसलिए इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और उन्हें पीले फल तथा मीठे पीले चावल का भोग अर्पित करते हैं. इसके साथ ही, इस दिन सरस्वती पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ भी जरूरी माना जाता है. मान्यता है कि व्रत कथा सुनने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और हर काम में सफलता मिलती है.
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने मनुष्य और पशु-पक्षियों की रचना की. लेकिन रचना के बाद भी पृथ्वी पर मौन छाया हुआ था. ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल की कुछ बूंदों को पृथ्वी पर छिड़का. इन बूंदों से एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई. यह शक्ति छह भुजाओं वाली देवी थीं, जिनके हाथों में पुष्प, पुस्तक, कमंडल, वीणा और माला थी। यह देवी स्वयं मां सरस्वती थीं.
मां सरस्वती ने ब्रह्माजी को प्रणाम किया और ब्रह्माजी ने उनसे वीणा बजाने के लिए कहा. जैसे ही मां सरस्वती ने वीणा बजाई, पृथ्वी पर हर जीव-जंतु को वाणी सुनाई दी और एक उत्सव सा माहौल बन गया। ऋषि भी वीणा के मधुर स्वर को सुनकर झूम उठे. तब ब्रह्माजी ने उन्हें 'वाणी की देवी' के रूप में सम्मानित किया और तभी से बसंत पंचमी का पर्व मनाने की शुरुआत हुई.
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