Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या स्थित रालला के दर्शन करने आने वाले भक्तों को अब माथे पर तिलक नहीं लगाया जाएगा. इसके साथ ही वे प्रभु चरणामृत से भी वंचित रहेंगे. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गर्भगृह के पुजारियों को तत्काल इन कामों को करने से रोक दिया गया है. अब पुजारी किसी भी प्रकार की दक्षिणा नहीं लेंगे. भक्तों को भी दक्षिणा दान पेटी में डालने का आग्रह किया गया है. हालांकि ट्रस्ट के इस निर्णय ने पुजारी बेहद नाराज हैं.
मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने कहा कि ट्रस्ट के आदेशों का पालन किया जाएगा. रामलला के अयोध्या नवनिर्मित मंदिर में प्रभु के दर्शन को लाखों की संख्या में भक्त आते हैं. यहां वे रामलला के दर्शन के साथ ही चरणामृत भी ग्रहण कर स्वयं को कृतार्थ करते थे. अब नई गाइडलाइन के तहत भक्तों को प्रभु के चरणामृत का लाभ नहीं मिल पाएगा.
भगवान राम के दर्शन भक्तों को दो तरीके से होते हैं. साधारण दर्शन करने वाले भक्तों को पंक्तिबद्ध तरीके से बैरिकेडिंग से होकर दर्शन कराया जाता है. वहीं, वीआईपी दर्शन करने वाले भक्तों को रामलला के दर्शन निकट से हो जाते हैं.
वीआईपी दर्शन के बाद पुजारी भक्तों के माथे पर चंदन लगाते हैं और चरणामृत देते हैं. इसके बाद भक्त पुजारियों को दान-दक्षिणा दिया करते हैं. इससे पुजारियों की वेतन के अलावा भी अतिरिक्त आय हो जाती है. ट्रस्ट ने तत्काल प्रभाव से इसे रोकते हुए कहा है कि पुजारी न तो किसी को चंदन लगाएं और न ही चरणामृत दें. यदि कोई भक्त दान-दक्षिणा दे तो उसे स्वयं न लेकर दानपेटी में डलवाएं. ट्रस्ट के इस निर्णय के प्रति पुजारियों में रोष है. अभी पुजारी इस निर्देश का पालन करने को तैयार हैं.
गर्भगृह में मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास सहित लगभग दो दर्जन पुजारी प्रभु की सेवा में हैं. ये अलग-अलग शिफ्ट में सेवा देते हैं. इन सभी में 5 पुराने और 21 नए सहायक अर्चक हैं. ट्रस्ट द्वारा मुख्य अर्चक को 35 हजार और सहायक अर्चकों 33 हजार रुपये वेतन दिया जाता है.