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India Daily

सिर्फ हिंदू ही नहीं इस धर्म का भी तीर्थस्थल है अयोध्या

Ayodhya : भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. अधिकतर लोगों को यह पता है कि अयोध्या हिंदुओं का तीर्थस्थल हैं, लेकिन यह नगरी एक और धर्म का तीर्थस्थल है. 

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Edited By: Mohit Tiwari
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हाइलाइट्स

  • भगवान श्रीराम का हुआ जन्म
  • 22 जनवरी को होगी रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा

Ayodhya : भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या हिंदुओं का एक तीर्थस्थल है. यह काफी प्राचीन नगरी है. भगवान श्रीराम की नगरी होने के कारण इसे धार्मिक नगरी कहा जाता है. भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों में से एक है. 

कैसे हुई अयोध्या की स्थापना?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अयोध्या की स्थापना विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु ने की थी. ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि और मरीचि के पुत्र कश्यप हुए. कश्यप के पुत्र विवस्वान व इनके पुत्र वैवस्वत मनु थे. मान्यता है कि वैवस्वत मनु का जन्म लगभग 6673 ईसा पूर्व में हुआ था. 

वैवस्वत मनु के 10 पुत्र थे. इनके नाम इल, इश्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे. माना जाता है कि इन सभी पुत्रों में सिर्फ इक्ष्वाकु के कुल का ही अधिक विस्तार हुआ था. अयोध्या पर इश्वाकु कुल का ही शासन चलता था. इश्वाकु कुल में ही श्रीराम जी का जन्म हुआ था. 

मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से अयोध्या पर शासन आरंभ हो गया था. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के पिता राजा दशरथ अयोध्या के 63वें राजा थे. राजा दशरथ के बाद अयोध्या का शासन भगवान श्रीराम को मिला था. प्रभु श्रीराम के पुत्र कुश ने अयोध्या का दोबारा से निर्माण कराया था. इस कारण अयोध्या के इतिहास को धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ा हुआ माना जाता है. 

इस धर्म का भी है तीर्थस्थल

अयोध्या सिर्फ हिंदुओं का ही नहीं जैन धर्म से जुड़े लोगों का भी तीर्थस्थल है. जैन मत के अनुसार, 24 तीर्थंकरों में से 5 तीर्थंकरों का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था. इसमें पहले तीर्थंकर ऋषभदेव, दूसरे अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ एवं अनंतनाथ ने यहां पर जन्म लिया था. इस कारण यह अयोध्या नगरी जैन धर्मवालों का भी तीर्थस्थल है. अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर का जन्मोत्सव पूरे भाव से मनाया जाता है.