Shiv Katha: मान्यता है कि भगवान शिव को जब कामदेव अपने वश में करने आए थे तो उन्होंने उनको अपनी तीसरी नेत्र से भस्म कर दिया था. भगवान शिव को कामदेव अपनी शक्ति से आसक्त नहीं कर पाए थे. वहीं, एक पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन ऐसा भी आया था, जब भोलेनाथ स्वयं पर काबू नहीं पाए थे और एक देवी को देखकर इस कदर मोहित हो गए कि माता पार्वती को भूल गए थे.
एक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन से अमृत निकला तो असुर और देवता दोनों ही अमृत को पहले पीने के लिए झगड़ा करने लगे. इसी दौरान उनके सामने एक मनोरम स्त्री आई. वह स्त्री इतनी अधिक सुंदर थी कि सभी झगड़ा छोड़कर उसके पास आ गए. इसके साथ ही उस स्त्री को देखकर दैत्य कहने लगे कि अब तक तुमको देवताओं, दैत्यों, सिद्ध, गंधर्व, चारण और लोकपालों ने स्पर्श नहीं किया होगा. हे सुंदरी! हमारा झगड़ा मिटा दें. आप न्याय के अनुसार इस अमृत को हम सभी में बांट दें.
यह स्त्री कोई और नहीं स्वयं भगवान श्रीहरि विष्णु थे, उनकी योगमाया शक्ति के प्रभाव से तीनों लोकों में हर कोई वश में किया जा सकता था. यह योग माया ही आदि शक्ति हैं. जब भगवान शिव ने सुना कि भगवान विष्णु ने स्त्री रूप धारण किया है तो वे उन्हें देखने उनके लोक पहुंच गए. वहां उन्होंने श्रीहरि की स्तुति की तो भगवान शिव एक रंग-बिरंगे फूलों के उपवन में पहुंच गए. वहां उनको एक सुंदर वस्त्र पहने हुए स्त्री दिखाई दी. जिसने कमर में करधनी पहनी हुई थी. उस स्त्री रूपी देवी ने भगवान शिव को लज्जा से मुस्कुराकर तिरछी नजर करके देखा.
भगवान शिव उस देवी को देखकर मोहित हो गए और माता पार्वती को भूलकर उस देवी के चितवन के रस में डूब गए. वह देवी कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्ण ही थे, जो भगवान शिव को अपने मोहिनी स्वरूप का दर्शन करा रहे थे. भगवान शिव काम आसक्त होकर मोहिनी स्वरूप धारण किए भगवान विष्णु के पीछे जाने लगे. उन्होंने उन्मत्त होकर मोहिनी के केश पकड़े तो मोहिनी उनसे अपने केश छुड़ाकर जाने लगीं. इसके बाद भगवान शिव उनके पीछे दौड़ने लगे और उनका वीर्य स्खलित हो गया. मान्यता है जब उनको ध्यान आया कि यह माया है तो तब भगवान शिव अपने स्वरूप में स्थित हुए.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.