सुखी जीवन के लिए जरूर करें ये तीन काम, आचार्य कौशिक जी महाराज ने दिया दुख से मुक्ति का मंत्र

Acharaya Kaushik Ji Maharaj: आचार्य कौशिक जी महाराज सुखी जीवन को जीने के लिए कथा के दौरान कई टिप्स देते हैं. आचार्य ने श्रीमद्भगवद्गीता में लिखे तीन ऐसे काम बताए हैं, जिनको करके व्यक्ति सुखी जीवन जी सकता है. 

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Acharaya Kaushik Ji Maharaj: आचार्य कौशिक जी महाराज भक्तों को भगवत कथा का रसपान कराने के साथ ही जीवन के दुखों से मुक्ति पाने के लिए आध्यात्मिक उपायों को बताते रहते हैं. इसी के चलते उन्होंने सुखी जीवन जीने के लिए कुछ कुछ टिप्स बताए हैं. उन्होंने बताया है कि मनुष्य को सुखी रहने के लिए तीन कामों को नहीं करना चाहिए. ये बात श्रीमद्भगवद्गीता में भी कही गई है. 

आचार्य कौशिक जी महाराज ने आत्मदेव और धुंधली का कथा सुना रहे थे. इस दौरान उन्होंने बताया कि आत्मदेव अपनी पत्नी धुंधली से परेशान होकर आत्महत्या करने जा रहा था. धुंधली हमेशा कलह करती थी, जिससे आत्मदेव परेशान था और वह आत्महत्या करने चल दिया. रास्ते में एक महात्मा उसको मिले, उन्होंने आत्मदेव से परेशानी का कारण पूछा तो आत्मदेव ने बताया कि मेरे कोई संतान नहीं है. इस कारण मैं आत्महत्या करना जा रहा हूं.

इस पर महात्मा ने आत्मदेव से पूछा कि अगर तुम्हारे संतान होती तो क्या हो जाता, इस पर आत्मदेव ने कहा कि वो मेरी मृत्यु के बाद मेरा पिंडदान करती और मुझे अग्नि देती. यह सुनकर महात्मा ने बताया कि इस प्रकार की मुक्ति से अच्छा है कि तुम ईश्वर के चरणों में लीन हो जाओ और खुद ही अपना पिंडदान कर संन्यासी जीवन अपना लो. महात्मा ने बताया कि आत्महत्या सबसे बड़ा कुकर्म है. इसको करने वाला कभी भी मुक्ति नहीं पाता है. तुम्हें आत्महत्या न करके भगवत मार्ग पर चलना चाहिए. ईश्वर खुद तुमको मुक्ति देगा. इस कहानी के साथ ही आचार्य कौशिक जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में तीन ऐसे काम बताए गए हैं, जिनको करके व्यक्ति सुखी हो जाता है. 

इन कामों को छोड़कर व्यक्ति हो जाता है सुखी

आचार्य कौशिक जी महाराज के अनुसार, गीता में तीन बातें लिखी हैं. पहली ये कि जो बीत गया उस पर शोक नहीं करना है. दूसरी ये कि वर्तमान का मोह नहीं करना है और तीसरी भविष्य की चिंता नहीं करना है. इन तीन कामों को करके आप सभी दुखों से मुक्ति पा सकते हैं. 

कौन हैं राम, लक्ष्मण और सीता?

आचार्य कौशिक जी महाराज ने बताया कि जो देता है वही तो लक्ष्मण है. जो गलत रास्तों का चुनाव नहीं करता वह राम है और जो कलह नहीं करती वही सीता है. सत्य का अनुसरण करें. बहन को दान दें. देने से धन कम नहीं होता व्यसनों से कमी आती है.गलतरास्तों का चुनाव नहीं करता है वह राम है. जो कलह नहीं करती वहीं सीता है. आचार्य कौशिक जी के अनुसार, व्यक्ति अपने कर्म और आचरण से ही राक्षस और देव कहलाता है.

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