Astrological Tips For Pregnancy: शादी के बाद गर्भवती होना हर महिला के लिए बेहद खुशी का क्षण होता है. इसके साथ ही जो पुरुष के लिए भी पिता बनने की खुशी अलग ही होती है. हर कोई चाहता है कि उसकी संतान रूपवान, गुणवान, दीर्घायु हो. इसके लिए लोग अलग-अलग प्रकार से पूजा पाठ भी करते हैं. इसके साथ ही हर प्रकार से भगवान को मनाने की कोशिश करते हैं. वहीं, हमारे शास्त्रों और पुराणों में अच्छी संतान प्राप्ति के लिए गर्भधारण को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं.
शास्त्रों और पुराणों में गर्भधारण के लिए शुभ दिन, समय, मुहूर्त आदि के बारे में बताया गया है. पुराणों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति इन बातों को ध्यान रखता है तो उसे गुणवान, योग्य और दीर्घायु संतान की प्राप्ति होने की संभावना प्रबल हो जाती हैं. जन्म कि दिन, समय और मुहूर्त से किसी व्यक्ति की कुंडली तैयार होती है. कुंडली में अगर ग्रह अच्छी स्थिति में हों तो जीवन काफी सुगमता से कटता है.इस कारण माता-पिता को गर्भधारण से पहले कुछ बातों को ध्यान रखना चाहिए.
मनुस्मति और गरुड़ पुराण में लिखा है कि स्त्री पीरियड्स के दौरान अशुद्ध होती हैं. इस कारण इस दौरान उन्हें पूजा और पाठ नहीं करनी चाहिए. इन दिनों के दौरान पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए. स्त्री पीरियड्स के चार दिन बाद शुद्ध हो जाती है और सात दिनों के बाद वह पूजन, व्रत करने के योग्य हो जाती है. इस कारण इन सात दिनों में आपको गर्भधारण करने से बचना चाहिए. इन दिनों में गर्भधारण करना शुभ नहीं माना जाता है. इससे संतान की आयु कम हो जाती है और जीवन में कई प्रकार प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
शास्त्रों के अनुसार, पीरियड्स के 8वें दिन गर्भधारण करना शुभ होता है. इससे उत्तम और योग्य संतान प्राप्त होती है. इसके साथ ही पीरियड्स के बाद की चौदहवीं रात्रि गर्भधारण के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन गर्भधारण करने से दीर्घायु, गुणवान, भाग्यशाली और व्यवहार कुशल संतान की प्राप्ति होती है.
शास्त्रों के अनुसार सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को गर्भधारण करने के लिए शुभ माना जाता है. इसके साथ ही अष्टमी, दशमी और 12वीं तिथि भी गर्भधारण के लिए शुभ होती है.
ज्योतिष में कुल 28 नक्षत्र बताए गए हैं. इनमें से रोहिणी, मृगशिरा, हस्त, चित्रा, पुनर्वसु, पुष्य, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, उत्तराषाढ़ा और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दौरान गर्भधारण करना शुभ माना गया है.
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गर्भधारण के दिन पति और पत्नी का चंद्रमा बलवान हो. लग्न स्थान, केंद्र और त्रिकोण में शुभ ग्रह हों. सूर्य, मंगल और गुरु का लग्न स्थान को देखना संतान के लिए काफी शुभ माना जाता है. इस दौरान आपकी सोच भी सकारात्मक होनी चाहिए. मन में खुशी का भाव होना चाहिए. अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हुए गर्भधारण करेंगे तो शास्त्रों के अनुसार निश्चित ही आपकी संतान गुणवान और रूपवान होगी.
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