जहां जन्मे थे माता पार्वती के लाडले, वहां आज भी है मीठी झील, वैज्ञानिक भी हो गए हैं फेल!

बीते तीन दिनों से लोगों के घर में उत्सव का माहौल है. हर कोई भगवान गणेश की पूजा कर रहे हैं. हालांकि आज कई जगहों पर उनका विसर्जन भी कर दिया गया है तो कई जगहों पर 10 बाद की जाएगी. ऐसे में सभी के लिए जानना बहुत जरूरी है कि हम जिस बप्पा की पूजा कर रहे हैं उनकी जन्म कथा क्या है, और उनका जन्म कहां हुआ था.

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हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 7 सितंबर से गणेश चतुर्थी शुरू है. मान्यता है कि इसी दिन सुख-समृद्धि के देवता भगवान श्री गणेश का अवतरण हुआ था और इसी दिन सारे पर्व त्योहारों की शुरुआत होती है. इस पूजा को लोग उत्सव की तरह 10 दिन मनाते हैं. इस दौरान लोग घर में बप्पा की मूर्ति का स्थापना करके पूरे विधि-विधान से पूजा कर रहे हैं. चारों ओर लोगों में उत्साह और उमंग है. इस बार भी सभी लोगों ने अपने घरों बप्पा की मूर्ति की स्थापना की है.

ऐसे में सभी के लिए जानना बहुत जरूरी है कि हम जिस बप्पा की पूजा कर रहे हैं उनकी जन्म कथा क्या है. बता दें कि माता पार्वती ने एक बार अपने शरीर पर मैल हटाने के लिए हल्दी लगाई थी. इसके बाद जब उन्होंने हल्दी उबटन उतारी तो उससे एक पुतला बना दिया और फिर उसमें प्राण डाल दिए गए. इस तरह भगवान लंबोदर का जन्म हुआ.

बाल गणेश की जन्म कथा

वहीं शिव पुराण में भी गणेश के जन्म की यह कथा है. हालांकि उसमें यह भी बताया गया कि माता पार्वती ने जिस मूर्ति को बनाया उसमें प्राण डाल कर उनका नाम गणेश रखा गया, उसके बाद उन्होंने बाल गणेश से वचन लिया की वह मां की आज्ञा का सदैव पालन करेंगे. तभी जब माता कुंड में स्नान करने गईं तो बाल गणेश बाहर पहरेदारी कर रहे थे.पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने इसी समय क्रोधवश गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था. माता पार्वती के अनुरोध पर शिव जी ने फिर शिशु हाथी का मुख लगाकर गणेश जी में प्राण डाले थे.

यहां है भगवान गणेश का जन्मस्थान

बता दें कि डोडीताल की षट्कोणीय झील लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर में फैली हुई है. इसकी गहराई कितनी है आज तक कोई नहीं जान पाया है. कई बार बहुत से वैज्ञानिकों ने झील की गहराई को मापने की कोशिश की लेकिन वह भी असफल रहे. डोडीताल झील की गहराई आज भी रहस्य बनी हुई है. डोडीताल के उत्तरकाशी जिले में ताजे मीठे पानी की एक पर्वतीय झील है. यह 3,657 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां से अस्सी गंगा नदी निकलती है और जो आगे भागीरथी नदी में विलय हो जाती है. इसका संगम गंगोरी में है.