Astrology: मानसिक रोग आज के समय में एक गंभीर समस्या बन चुका है. आज के समय में हर कोई मानसिक तनाव में हैं. इसके साथ ही कुछ लोगों को गंभीर मानसिक रोग हो जाता है. मानसिक रोग दो प्रकार के होते हैं. इनमें एक साइकोसिस और दूसरा न्युरोसिस होता है. न्युरोसिस में वे बीमारियां आती हैं जिनमें व्यक्ति को पता होता है कि उसे कोई समस्या है जैसे एंग्जाइटी, डिप्रेशन आदि समस्याएं न्युरोसिस के अंतर्गत आती हैं. वहीं, जिसमें रोगी को न पता हो कि वो बीमार है तो ऐसी समस्याएं साइकोसिस में आती हैं जैसे पागलपन, बाइपोलर डिसऑर्डर आदि समस्याएं इसके अंतर्गत आती हैं.
इन सभी मानसिक रोगों का कारण ज्योतिष में ग्रहों का अशुभ प्रभाव माना गया है. मान्यता है कि जब भी कोई ग्रह आपको अशुभ प्रभाव देता है तो वह आपको कई शारीरिक, मानसिक रूप से कष्ट दे सकता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन और जल का कारक होता है. मनुष्य के शरीर में 70 प्रतिशत जल होता है. इस कारण यह हमारी भावनाओं को काबू में करता है. चंद्र नक्षत्र को देखकर ही हम कोई शुभ काम करते हैं. इस कारण मानसिक समस्याओं का कारण चंद्रमा का अशुभ प्रभाव हो सकता है.
चौथा भाव हृदय और पांचवां भाव दिमाग को दर्शाता है. इस दोनों भावों का पीड़ित होना भी व्यक्ति को मानसिक कष्ट देता है. चंद्र और शनि की युति के कारण व्यक्ति अंदर ही अंदर पीड़ित होता रहता है. ऐसे में उसको मानसिक रोग हो जाता है.
राहु और चंद्र की युति भी आपको मानसिक रोगी बनाता है. राहु मायावी है और जब यह चंद्रमा के संपर्क में आता है तो व्यक्ति बड़े-बड़े सपने देखने लगता है. ऐसा व्यक्ति सिर्फ सपने ही देखता है और लोगों से झूठ बोलता है. ऐसे में जब राहु दशा अन्तर्दशा में फल दिखाती है तो व्यक्ति को मानसिक रोग हो जाता है.
जब किसी की कुंडली में बुध-केतु की युति होती है और चौथा भाव पीड़ित होता है तो वह व्यक्ति कहता कुछ और है व करता कुछ और है. ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि बुध के पीड़ित होने से गंभीर मानसिक विकार हो सकते हैं. मानसिक विकार के लिए शनि को भी उत्तरदायी माना जाता है. शनि, मंगल और चंद्रमा आपके छठवें, 8वें और 12वें भाव में हो तो उस व्यक्ति को फोबिया हो सकता है.
घर के सभी लोगों को पूर्व दिशा में सिर करके सोना चाहिए. इसके साथ ही कमरे में कर्पूर जलाना चाहिए.
जब भी सोने जा रहे हैं तो हनुमान जी का स्मरण करें और हनुमान चालीसा को बगल में रखे. इस उपाय को शुक्ल पक्ष के मंगलवार से करना है और करीब 9 मंगलवार तक करना है.
सोमवार के दिन शुभ होरा में गायत्री यंत्र को पूजा घर में स्थापित कर दें. इसके साथ ही मोती की माला गले में धारण करें.
रात को सोते समय चांदी के गिलास में पानी भरकर रख दें. सुबह इस पानी को गुलाब के पेड़ की जड़ में डाल दें तो इससे आपका तनाव कम होगा.
कच्चे दूध में चीनी मिलाकर जामुन के पेड़ की जड़ में डालें. इस उपाय को शुक्लपक्ष के शनिवार से शुरू करना है और फिर इसको रोजाना करना है. हर अमावस्या की शाम को मंदिर में खीर अर्पित करें.
नियमित रूप से केसर और हल्दी मिश्रित चंदन का तिलक लगाना चाहिए.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.